Safalta Ki Kunji : सफलता की कुंजी कहती है कि किसी को नीचा दिखाकर, कोई भी व्यक्ति कभी बड़ा नहीं बन सकता है. जो लोग ऐसा सोचते हैं वे स्वयं के साथ धोखा करते हैं. क्योंकि जीवन में सफलता तभी प्राप्त होती है जब आप सभी को साथ लेकर चलते हैं, सभी के सुख दुख का ध्यान रखते हैं. यदि आप ऐसा करने में सक्षम और सहज नहीं है तो फिर आपके जीवन में सफलता का सुख नहीं है.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि स्वयं को श्रेष्ठ बनाएं. श्रेष्ठ सदैव अच्छे गुणों को अपनाने से ही प्राप्त होती है. जो लोग दूसरों को उपहाश करते हैं, सामने वाले को कमजोर मानते हैं या फिर पूरा श्रम दूसरों को नीचा दिखाने में लगाते हैं. ऐसे लोग कभी श्रेष्ठ और महान नहीं बन सकते हैं.
विद्वानों का कहना है कि जीवन में सफलता परिश्रम और परोपकार से प्राप्त होती है. यही असली सफलता है. दूसरे के दुखों पर यदि पीड़ा नहीं होती है और दूसरों की खुशी पर आपके चेहरे पर मुस्कान नहीं आती है तो फिर ये स्थिति भविष्य को लेकर अच्छी नहीं कही जा जाती है.
मनुष्य को प्रेम और परोपकार के मार्ग को कभी नहीं त्यागना चाहिए. प्रेम शत्रु को भी मित्र बनाने की शक्ति रखता है. परोपकार व्यक्ति का श्रेष्ठ गुण है. इससे व्यक्ति को हर स्थान पर सम्मान प्राप्त होता है. ऐसे लोगों की समाज में सराहना होती है. दूसरे लोगों के लिए ऐस लोग प्रेरणा का कार्य करते हैं. झूठ बोलने की आदत भी मनुष्य को अपयश प्रदान करती है. इससे भी दूर रहना चाहिए. जीवन में श्रेष्ठ बनाना है तो इस आदत का त्याग करें-
नकारात्मकता से दूर रहें- विद्वानों का मनाना है कि सकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक विचार, व्यक्ति की सफलता में विशेष भूमिका निभाते हैं. इसलिए नकारात्मक विचार और ऊर्जा से दूर ही रहना चाहिए. इसके लिए शिक्षा और ज्ञान के महत्व को जानना चाहिए. अध्यात्म को अपनाने से इन बुरी आदतों से बचने में मदद मिलती है.
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