Muharram 2024 Date: मुहर्रम से होगी इस्लामिक नववर्ष की शुरुआत, जानिए कब मनाया जाएगा यौम-ए-आशूरा
Muharram 2024 Date: मुहर्रम इस्लामी/हिजरी कैलेंडर के पहले दिन मनाया जाता है. इस्लाम धर्म में इस पर्व का खास महत्व होता है. वहीं मुहर्रम के 10वें दिन यौम-ए-आशूरा (Youm E Ashura 2024) होता है.
Muharram 2024 Date: मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए मुहर्रम का महीना बहुत पवित्र होता है. इसका कारण यह है कि यह इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) का पहला महीना होता है.
इस्लाम धर्म से जुड़े हर पर्व-त्योहार चंद्र कैलेंडर पर आधारित होते है. ऐसे में हर साल चंद्र की स्थिति के अनुसार मुहर्रम की तारीख भी बदलती रहती है. आइए जानते हैं इस वर्ष 2024 में कब है मुहर्रम और क्या है इसका महत्व.
मुहर्रम 2024 कब (Muharram 2024 Date)
फिलहाल धू अल-हिज्जा या जिल्-हिज्जाह का महीना चल रहा है जोकि इस्लामिक कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है. मुहर्रम की सही तारीख चांद के दीदार के बाद ही पता चलती है. हालांकि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम की संभावित तारीख 7 जुलाई 2024 हो सकती है. बता दें कि विभिन्न इस्लामी संप्रदाय जैसे शिया और सुन्नी जैसे अन्य संस्कृतियों में मुहर्रम मनाने का तरीका अलग-अलग होता है. कुछ समुदायों में मुसलमान मुहर्रम के 10वें दिन उपवास रखते हैं. इसे आशूरा के रूप में मनाया जाता है जोकि इस वर्ष 17 जुलाई 2024 को हो सकती है.
ऐसे में इस साल मुहरर्म की शुरुआत 7 जुलाई 2024 से और यौम-ए-आशूरा 17 जुलाई 2024 बताई जा रही है. हालांकि चांद का दीदार होने के बाद ही सही तिथि निर्धारित होती है. बता दें कि चंद्र इस्लामी कैलेंडर या हिजरी कैलेंडर (Hijri Calendar) में एक वर्ष में 354 दिन और 12 महीने होते हैं. साल के पहले महीने को मुहर्रम के रूप में मनाया जाता है. इस्लाम में रमजान के बाद मुहर्रम दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है.
मुहर्रम 2024 का महत्व (Muharram 2024 Significance)
मुसलमानों के लिए मुहर्रम गम का महीना होता है. इसे इमाम हुसैन (Imam Hossain) और उनके साथियों की शहादत के गम में मनाया जाता है. इस्लाम धर्म से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार, 61 हिजरी (680वीं) में इराक में कर्बला में पैगंबर मोहम्मद (Muhammad) के नवासे इमाम हुस्सैन और उनके करीब 72 साथी इस्लाम रक्षा के लिए शहीद हो गए थे.
मुहर्रम के 10वें दिन इमाम हुस्सैन और उनके साथियों की शहादत हुई थी. इसलिए इस दिन को इसे यौम-ए-आशूरा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग काले कपड़े पहनते हैं और विभिन्न शहरों के इमामबाड़े से ताजिया जुलूस (Taziya Julus) निकाला जाता है. ताजिया को इमाम हुसैन की कब्र का प्रतीक माना जाता है.
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