Muharram 2024: पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) के नवासे इमाम हुसैन (Imam Hussain) की कुर्बानी के लिए याद किए जाने वाला महीना मुहर्रम चल रहा है. आज मुहर्रम की सात तारीख है. वहीं 17 जुलाई बुधवार को रोज़ ए आशूरा (Youm e Ashura 2024) मनाया जाएगा. आशूर का दिन सबसे ग़म (शोक) का दिन है. मुहर्रम की सात तारीख क्यों खास है और आज के दिन मुसलमान क्या करते हैं, आइए जानते हैं.
दरअसल, मुहर्रम की सात तारीख पैंगबर मोहम्मद के नवासे और इमाम हुसैन के बड़े भाई इमाम हसन के बेटे क़ासिम से मंसूब (संबंधित) है. आज के दिन दुनियाभर में मुसलमान खास तौर से शिया समुदाय के लोग कासिम की शहादत का ग़म मनाते हैं.
आज के दिन क्या होता है खास? (Muharram 2024 7th day Importance)
आज के दिन लोग खास तौर पर हरे रंग कपड़े पहनते हैं और अलम निकालते हैं. इसके अलावा जगह-जगह पानी और शर्बत की सबील भी लगाई जाती है. लंगर (भंडारा) होता है. लोगों को घर पर तबर्रुक (प्रसाद) खाने के लिए घर पर बुलाया जाता है.
कौन थे कासिम? (Who is Qasim)
कासिम इमाम हसन के बेटे थे, जिन्हें भी इराक के करबला में इमाम हुसैन के साथ तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया था. ईरान से आए मौलाना हसन अब्बास बिलगिरामी ने बताया कि जब कासिम की शहादत हुई उनकी उम्र महज 14 साल थी. उन्होंने बताया कि कासिम करबला का ऐसा शहीद है जिसे जिंदगी में ही अरब के घोड़ों से पामाल (कुचल) कर दिया गया. मुहर्रम की सात तारीख यानी आज के दिन मजलिसों (कथाओं) में कासिम की शहादत का जिक्र होता है. साथ ही उनका ताबूत भी उठाया जाता है.
7 मुहर्रम से बंद कर दिया था पानी
मौलाना हसन अब्बास बिलगिरामी के मुताबिक सात मुहर्रम को करबला के मैदान में इमाम हुसैन के खेमों (टेंट) में पानी खत्म हो गया था और छोटे-छोटे बच्चे प्यासे थे. लेकिन यज़ीद की तरफ से उन्हें फुरात (वहां की एक नहर) से पानी नहीं लेने दिया. सात मुहर्रम के बाद से इमाम हुसैन और उनके साथियों को पानी नहीं दिया गया और आशूर के दिन उन्हें तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया.
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