Muharram 2024: इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक पहला महीना मुहर्रम जारी है. आज मुहर्रम के महीने की पांच तारीख है और अब आशूर के दिन में पांच दिन और बाकी रह गए हैं, जिस दिन इमाम हुसैन को इराक के कर्बला में उनके 71 साथियों के साथ तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया था. जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मुहर्रम के शुरुआती दस दिनों में अलग-अलग शहीद को पुरसा (श्रद्धांजलि) दी जाती है. आइए जानते हैं मुहर्रम के पांचवें दिन किन शहीदों का जिक्र होता है.


दरअसल, मुहर्रम की पांच तारीख को इमाम हुसैन के भांजों की याद मनाई जाती है. पैंगबर मोहम्मद के बेटी फातिमा ज़ेहरा की बेटी थीं, जिनका नाम ज़ैनब था उन्हीं के दो बेटे औन और मोहम्मद भी आशूर के दिन कर्बला के मैदान में शहीद कर दिए गए थे. ज़ैनब इमाम हुसैन की बहन थीं जिन्हें शरीक़तूल हुसैन भी कहा जाता था.


जब औन और मोहम्मद शहीद हुए तब उनकी उम्र बेहद कम थी, लेकिन जैसा कि शिया धर्मगुरु हसन अब्बास बिलगिरामी बताते हैं उनके मुताबिक फिर भी दोनों ने बहादुरी से यज़ीद के लश्कर का सामना किया. दोनों भाई लड़ते-लड़ते दरिया जिसका नाम नहरे फुरात था वहां पहुंच गए लेकिन चूंकि इमाम हुसैन के खेमे में बच्चे प्यासे थे इसलिए दोनों भाइयों ने भी पानी नहीं पिया और यज़ीद के लश्कर से लोहा लेते रहे. दोनों भाई तीन दिन के भूखे प्यासे कब तक जंग करते, कुछ देर बाद यज़ीद के सिपाहियों ने उन्हें घेर लिया और वार पर वार कर दोनों को शहीद कर दिया.


आज मुहर्रम की पांच तारीख औन और मोहम्मद से मंसूब (संबंधित) है. आज के दिन दुनिया में जगह-जगह इन दोनों भाइयों की बहादुरी और शहादत का जिक्र किया जाता है. बताया जाता है कि ज़ैनब ने अपने दोनों बच्चों को इस्लाम के नाम पर शहीद कर दिया. दोनों भाई इतने बहादुर थे कि दोनों ने दरिया पर कब्जा लेने के बाद भी पानी नहीं पिया क्योंकि इमाम हुसैन के खेमे में छोटे-छोटे बच्चे प्यासे थे.


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