नई दिल्ली: आज चांद का दीरार होने के साथ ही इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मोहर्रम शुरू हो गया है. इस कैलेंडर की खास बात ये है कि जहां ईस्वी कैलेंडर में नई तारीख की शुरुआत रात को 12 बजे से होती है वहीं, हिजरी साल यानि इस्लामिक कैलेंडर में नई तारीख की शुरुआत शाम (सूरज डूबने के बाद) से होती है.


मोहर्रम की 10 तारीख को मातम मुहर्रम कहा जाता है. इसी दिन करबला में मुहम्मद साहब के छोटे नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों का कत्ल किया गया था. इसे रोज-ए-आशुरा भी कहा जाता है. इस वजह 10 मुहर्रम को शिया समुदाय मातम मनाता है.


हर कैलेंडर अपने-अपने हिसाब से चलते हैं. इस्लामिक कैलेंडर चंद्र कैलेंडर के हिसाब से चलता है, इसके साल में भी 12 महीने ही होते हैं. इस्लामिक कैलेंडर में महीने 29 या 30 दिन के होते हैं. एक साल 354.36 दिन का ही होता है. ईस्वी कैलेंडर सूरज के हिसाब से तय होता है और इसमें महीने 30 या 31 दिन होते हैं और साल 365 दिनों का होता है.


बता दें कि चांद देखने के साथ ही इस्लामिक कैलेंडर के हर नए महीने की शुरुआत होती है. इसका पहला महीना मुहर्रम होता है, जबकि आखिरी महीने को ज़िलहिज्जा कहते हैं. इस्लामिक कैलेंडर को दरअसल हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत आज से 1440 साल पहले हुई. इस्लामिक कैलेंडर का आने वाला नया साल 1441 हिजरी होगा.


मुसलमान के तीन मुख्य त्यौहार की तारीख इसी इस्लामिक कैलेंडर से तय होती है. ईद इस्लामिक कैलेंडर के 10वें महीने की पहली तारीख को मनाई जाती है. यानि नौवें महीने रमजान के खत्म होने के बाद पहली शव्वाल (10वां महीना) को ईद मनाई जाती है. इस तरह से शब-ए-बरात, शब-ए-कद्र जैसे त्यौहार या रस्म भी इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ही मनाए जाते हैं.


यह भी पढ़ें:


चंद्र कैलेंडर के हिसाब से चलता है इस्लामी कैलेंडर, जानें क्या है इसकी अहमियत