Munshi Premchand Quotes in Hindi: भारतीय साहित्य को पढ़कर अगर आपने मुंशी प्रेमचंद को नहीं पढ़ा तो यह कुछ ऐसा होगा कि, आप प्यासे होने पर कुएं तक तो गए लेकिन पानी नहीं पिया. महान व्यक्तित्व के धनी मुंशी प्रेमचंद ने हमेशा ही समाज के उत्थान और प्रगति के बारे में सोचा.
मुंशी प्रेमचंद जी ने हिंदी साहित्य को आधुनिक रूप प्रदान किया. उनके द्वारा लिखी गोदान, गबन, निर्मला, कफन, मानसरोवर आदि जैसी किताबें बहुत प्रसिद्ध है. हिंदी जैसे खूबसूरत विषय पर मुंशी प्रेमचंद ने अपनी अमिट छाप छोड़ी. लेकिन हिंदी लेखक के साथ ही वे साहित्यकार, नाटककार, उपन्यासकार प्रतिभा के भी धनी थे.
हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार एवं उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 में हुआ था और उनकी मृत्यु 08 अक्टूबर 1936 में हुई. आज मुंशी प्रेमचंद जी की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके अनमोल विचारों के बारे में, ये विचार लोगों के लिए आज भी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है.
मुंशी प्रेमचंद के विचार (Munshi Premchand Quotes)
“लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है,
अनुराग है, लगन है, विचार है. जिन्होंने धन और
भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया,
वह क्या लिखेंगे?”
सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है,
आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम जिंदगी है.
जिस बंदे को दिन की पेट भर रोटी नहीं मिलती,
उसके लिए इज्जत और मर्यादा सब ढोंग है.
अन्याय होने पर चुप रहना,
अन्याय करने के ही समान है.
इतना पुराना मित्रता-रूपी वृक्ष
सत्य का एक झोंका भी न सह सका.
सचमुच वह बालू की ही ज़मीन पर खड़ा था.
विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है.
पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है.
जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है
उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है.
'मैं एक मज़दूर हूं, जिस दिन कुछ लिख न लूं,
उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं.'
'बूढ़ों के लिए अतीत के सुखों और वर्तमान के
दुःखों और भविष्य के सर्वनाश से ज्यादा
मनोरंजक और कोई प्रसंग नहीं होता.'
दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है,
वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है.
धन खोकर यदि हम अपनी आत्मा को पा सके,
तो कोई महंगा सौदा नहीं है.
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