Chandra Grahan In Islam: साल 2024 का अंतिम चंद्र ग्रहण 18 सितंबर, 2024 को लगने जा रहा है. चंद्र ग्रहण को लेकर हिंदू धर्म में कई तरह की मान्यताएं हैं और इसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस्लाम धर्म में भी चंद्र ग्रहण का जिक्र होता है और इस धर्म में ग्रहण को लेकर विशेष उपाय भी बताए गए हैं. 


इस्लाम धर्म में चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan)
इस्लाम धर्म में चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है. ग्रहण के दौरान मुस्लिम लोगों को नमाज अदा करने की सलाह दी जाती है. इस्लाम धर्म के मुताबिक चंद्र ग्रहण के दौरान लोग मस्जिद में एक साथ बैठकर नमाज अदा करते हैं. 


चंद्र ग्रहण की नमाज? (Salat al Kusuf)
इस्लाम धर्म में जब भी चंद्र ग्रहण लगता है, तो उस दौरान पढ़ें जाने वाली नमाज आम दिनों की नमाज से काफी अलग होती है. चंद्र ग्रहण के दौरान पढ़ी जाने वाली नमाज को 'सलात अल कुसूफ' कहा जाता है. यह नमाज मुस्लिम दिन में 5 बार पढ़ते हैं. ये नमाज रोज की नमाज़ों से काफी अलग होने के साथ लंबी भी होती है. 


सलात अल कुसूफ (salat al kusuf) की नमाज के दौरान नमाजी धरती पर माथा टेककर दुआ मांगता है. इस समय नमाजी अल्लाह ताआला की अपार शक्तियों और उनके उपकारों का शुक्रिया करता है. ऐसा करने से अल्लाह ताआला चंद्र ग्रहण के दौरान अपने बंदों को रहमत बख्शते हैं. 


ग्रहण की नमाज किसे पढ़नी चाहिए? 
इस्लाम (Islam) के मुताबिक चंद्र ग्रहण के दौरान हर मुसलमान को नमाज पढ़ना जरूरी नहीं है. नमाज अदा करने की जरूरत उनको ही है, जिन्होंने ग्रहण के दौरान चांद को देखा हो. अगर कोई ग्रहण के दौरान चंद्रमा को देख लेता है, तो उसे मस्जिद जाकर नमाज तब तक पढ़नी चाहिए, जब तक ग्रहण का प्रभाव पूरी तरह खत्म न हो जाएं. इसी वजह से ये नमाज रोजाना की नमाज से काफी लंबी होती है.


इस्लाम धर्म में सूर्य और चंद्रमा अल्लाह के प्रतीक है. अल्लाह इन्हें इसलिए भेजता है, ताकि लोग दूआ करें और ग्रहण जल्दी खत्म हो. माना जाता है कि ग्रहण के दौरान नमाजी का मुख काबा की ओर होना चाहिए. क्योंकि यह नमाज के अरकान में से एक रुक्न होता है, जिसे बिना नमाज किए सही नहीं माना जाता है. 


'सलात अल कुसूफ' कब शुरू हुआ ?
इस्लाम धर्म (Islam Religion) के अनुसार माना जाता है कि चंद्र ग्रहण  के दौरान पैगंबर मोहम्मद के बेटे इब्राहिम की मौत हुई थी. इसलिए चंद्र ग्रहण को इब्राहिम के मौत की वजह माना जाता है.


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