सूर्य के पुत्र शनिदेव पर वैशाख के महीने में सरसों के तेल को नित्यप्रति चढ़ाया जाना शुभकारी होता है. शनिदेव को विशेषतः सरसों का तेल चढ़ाया जाता है. तिलहन का दान किया जाता है. तिलहन में प्राचीन काल में मुख्य रूप से सरसों और तिल का तेल मुख्य माना जाता था. वर्तमान में अन्य सभी प्रकार के वनस्पति तेल जो बीज से प्राप्त होते हैं, उन्हें तिलहन माना जाता है. वैशाख माह में तिलहन का दान अत्यंत फलदायी होता है.


शनिदेव को शनिवार को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है. वैशाख के महीने में तेल का भोजन में निषेध माना जाता है. तेल का सेवन स्वास्थ्य गत समस्याओं को बढ़ाता है. तिलहन के दान और तेल को शनिदेव पर चढ़ाने से विभिन्न बाधाएं दूर होती हैं. कामकाजी अवरोध दूर होने के साथ स्वास्थ्य संबंधी कष्ट भी हटते हैं. वैशाख के महीने में सूर्यदेव की प्रबलता बढ़ती है.


तेल चढ़ाने से बचाव


सूर्य की किरणें सीधी होने और दिनमान बड़ा होने से छाया का आकार घटता है. छाया शनिदेव की मां हैं. शनिदेव पर तेल चढ़ाने से उनके कोप से बचाव होता है. उनकी दृष्टि के प्रभाव से भक्त सुरक्षित रहता है. वैशाख का माह 26 मई 2021, बुद्ध पूर्णिमा तक रहेगा. इस समय तक तेल प्रयोग न करें. सप्ताह के सभी दिन शनिदेव को तेल चढ़ाएं. बता दें कि वैशाख प्रत्येक नव संवत्सर का पहला पूर्ण माह होता है. चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथम नवरात्रि से नवसंवत्सर की शुरूआत होती है. चैत्र का कृष्ण पक्ष किसी भी नवसंवत्सर का अंतिम पखवाड़ा होता है.