Ratneshwar Mahadev Temple : जानिए भारत का वो कौन सा मंदिर है, जो 8 महीने रहता है पानी के अंदर
Mandir Mystery : अगर आप वाराणसी जाएं तो रहस्यमयी रत्नेश्वर महादेव मंदिर का दर्शन जरूर करें, क्योंकि यह मंदिर अधिकतम समय पानी में डूबा रहता है, जिस कारण इस मंदिर में पूजा बहुत कम होती है.
![Ratneshwar Mahadev Temple : जानिए भारत का वो कौन सा मंदिर है, जो 8 महीने रहता है पानी के अंदर mysterious ratneshwar mahadev temple which stays is under water for 8 months of banaras Ratneshwar Mahadev Temple : जानिए भारत का वो कौन सा मंदिर है, जो 8 महीने रहता है पानी के अंदर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/21/24f4a37714950f8ff2a7181cf4ecd41e_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Ratneshwar Mahadev Temple : वाराणसी में वैसे तो सैकड़ों मंदिर हैं, लेकिन सभी मंदिरों के बीच प्राचीन रत्नेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर की खासियत यह है कि लगभग 400 सालों से 9 डिग्री के एंगल पर झुका हुआ है .रत्नेश्वर महादेव मंदिर मणिकर्णिका घाट के नीचे बना है.घाट के नीचे होने के कारण यह मंदिर साल में 8 महीने गंगाजल से आधा डूबा हुआ रहता है.
अदभुद है बनावट
इस मंदिर में अद्भुत शिल्प कारीगरी की गई है. कलात्मक रूप से यह बेहद आलीशान है. इस मंदिर को लेकर कई तरह कि दंत कथाएं प्रचलित हैं.
क्या है रत्नेश्वर महादेव मंदिर का रहस्य
इस मंदिर के अजीबो-ग़रीब रहस्य हैं. पहले इस मंदिर के छज्जे की ऊंचाई ज़मीन से जहां 7 से 8 फ़ीट हुआ करती थी, वहीं अब केवल 6 फ़ीट रह गई है. वैसे तो ये मंदिर सैकड़ों सालों से 9 डिग्री पर झुका हुआ है पर समय के साथ इसका झुकाव बढ़ता जा रहा है, जिसका पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाएं.
क्यों डूबा रहता है मंदिर, जानें कारण
ये मंदिर मणिकर्णिका घाट के एकदम नीचे है, जिसकी वजह से गंगा का पानी बढ़ने पर ये मंदिर 6 से 8 महीने तक पानी में डूबा रहता है. कभी-कभी तो पानी शिखर से ऊपर तक भरा रहता है. इस स्थिति में मंदिर में केवल 3-4 महीने ही पूजा हो पाती है. 6 से 8 महीने पानी में रहने के बावजूद भी इस मंदिर को कोई नुकसान नहीं होता.
मंदिर का निर्माण
भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सन 1857 में अमेठी के राज परिवार ने करवाया था.
मंदिर की प्राचीन मान्यताएं
इस मंदिर को लेकर कई मशहूर हैं पौराणिक कहानियां हैं.कहा जाता है कि अहिल्याबाई होल्कर ने अपने शासनकाल में बनारस के आसपास कई सारे मंदिरों का निर्माण करवाया था. अहिल्याबाई की एक दासी रत्नाबाई थी. रत्नाबाई मणिकर्णिका घाट के आसपास एक शिव मंदिर बनवाना चाहती थीं. ऐसे में उन्होंने अपने पैसे से और थोड़ी बहुत अहिल्याबाई की मदद से मंदिर बनवा लिया. पर जब मंदिर के नामकरण का समय आया तो रत्नाबाई इसे अपना नाम देना चाहती थी, लेकिन अहिल्याबाई इसके विरुद्ध थीं . इसके बावजूद भी रानी के विरुद्ध जाकर रत्नाबाई ने मंदिर का नाम 'रत्नेश्वर महादेव' रख दिया. जब इस बात का पता अहिल्याबाई को चला तो उन्होंने नाराज़ होकर श्राप दे दिया, जिससे मंदिर टेढ़ा हो गया. दूसरी कहानी के मुताबिक एक संत ने बनारस के राजा से इस मंदिर की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी मांगी. मगर राजा ने संत को देखरेख की ज़िम्मेदारी देने से मना कर दिया. राजा की इस बात से संत क्रोधित हो गए और श्राप दिया कि ये मंदिर कभी भी पूजा के लायक नहीं रहेगा.
ये भी पढ़ें :- Shri Ganesh ji Mantra: बुधवार के दिन इन मंत्रों के जाप से करें गणेशजी को प्रसन्न, दूर होंगे सारे विघ्न
Puja Deepak Rules: भगवान के सामने दीपक जलाते समय ना करें ये भूल, नहीं तो पूजा होगी खंडित
Disclaimer:यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)