Maa Kali: मां काली, जिन्हें कालिका के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में मां काली का महत्वपूर्ण स्थान है, जिनको समय, मृत्यु, हिंसा, कामुक, महिला सशक्तिकरण और मातृ प्रेम का प्रतीक माना जाता है. काली मां की कई कहानियां प्रचलित है. आज हम आपको मां काली के 5 ऐसे रहस्यमय मंदिरों के बारे में बताएंगे, जिससे जानने के बाद आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. जानते हैं इन मंदिरों के बारे में




आगरा का कालीबाड़ी मंदिर
उत्तर प्रदेश के आगरा में काली मां का रहस्य मंदिर बना हुआ है. जिसका नाम कालीबाड़ी मंदिर है. ये मंदिर लगभग 200 साल पुराना है. जिसको लेकर मान्यता है कि मंदिर में स्थापित एक चमत्कारिक घट जिसका पानी कभी खत्म नहीं होता है और नहीं उस पानी में किसी भी तरह के कीड़े पनपते हैं. मंदिर की स्थापना को लेकर स्थानीय लोगों बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण लगभग 200 साल पहले हुआ था. इस मंदिर में रखे घट का पानी कभी भी खत्म नहीं होता है. 




जॉय मां शामसुंदरी काली मंदिर 
मां काली का दूसरा चमत्कारिक मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बना है. इस मंदिर का नाम जॉय मां शामसुंदरी काली मंदिर है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां रोजाना मां काली मंदिर के अंदर टहलती है. लोगों का तो यहां तक भी कहना है कि मंदिर के अंदर मां काली के चलने की और उनकी पायल की आवाज आती है. जब मंदिर के पुजारी सुबह मंदिर के पट खोलते हैं, तो मां काली के पैरों में धूल लगी होती है. जिसे मंदिर के पुजारी रोजाना साफ करते हैं.
मां के काली के इस मंदिर को लेकर ये तक कहा जाता है कि जब कोई भक्त मां की मूर्ति के आगे रोता है, तो मां काली की प्रतिमा भी कुछ अलग सी दिखाई देने लगती है. ऐसा लगता है मां काली रो रही है. 




कालीघाट काली मंदिर
कालीघाट काली मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकत्ता में स्थित है. 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ कालीघाट का काली मंदिर भी है. मां काली के भक्तों के लिए ये मंदिर बेहद खास है. मंदिर में मां काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा की पूजा-अर्चना की जाती है. माता काली के इस मंदिर में मां काली की प्रतिमा को देखेंगे तो, प्रतिमा में मां काली की जिह्वा सोने की बनी हुई है. 




काली खोह मंदिर
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विंध्य पर्वत पर मां विंध्यवासिनी, मां अष्टभुजा और मां काली का मंदिर विराजमान है. महाकाली के इस मंदिर का नाम काली खोह मंदिर है, जो तंत्र साधना के लिए काफी प्रचलित है. नवरात्रि के सातवें दिन इस मंदिर में मां कालरात्रि की पूजा साधना की जाती है. इस मंदिर को लेकर प्रचलित कहानियां कहती है कि जब रक्तबीज ने अपने ताकत से स्वर्ग लोक सभी देवताओं को निकाल दिया था, तब सभी देवताओं ने विंध्यवासिनी ने मां काली का रूप धारण किया था. जिसके बाद मां काली ने रक्तबीज का वध किया था. इस मंदिर में आने वाले भक्तों का कहना है कि आप चाहे जितना प्रसाद चढ़ा दीजिए, ये प्रसाद कहां जाता है इस बात का रहस्य आज तक नहीं सुलझ पाया. 




माता बसैया का मंदिर
उत्तर प्रदेश के मुरैना जिले मुख्यालय से 15 किलो मीटर दूर माता बसैया का मंदिर बना हुआ है. जिसे लोग मां काली के नाम से भी बुलाते हैं. ये मंदिर करीब 200 साल पुराना बताया जाता है. मंदिर को लेकर मान्यता है कि चैत्र मास की नवरात्रि में माता को झंडा चढ़ाने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. 


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