Nag Puja: न करें नाग देव को नाराज, वरना खत्म हो जाएगी घर की सारी धन-संपत्ति, बचाव के लिए करें ये उपाय
Nag Dev Puja: धार्मिक मान्यता है कि नाग देवता के नाराज होने से लक्ष्मी भी रुष्ट हो जाती हैं. जिस कारण आय का स्रोत बन्द हो जाता है और आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हो जाती है.
Nag Devata Puja Vidhi, Kalsarp Dosh Upay: हिंदू धर्म में नाग देवता की पूजा (Nag Devata Puja) का विधान है. आज 2 अगस्त को नाग पंचमी (Nag Panchami 2022) का त्योहार भी मनाया जा रहा है. ऐसे में नाग देवता की पूजा का महत्व एवं उसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है. धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी की कृपा पानी है तो नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए.
मान्यता है कि धन की रक्षा नाग देवता (Nag Devata) ही करते हैं. प्रचलित कथाओं में तो यहाँ तक कहा गया है कि धन की रक्षा करते हुए नाग देवता मिले हैं. ज्योतिषविदों का मत है कि जिन लोगों ने नाग देवता की विधि-विधान से पूजा अर्चना की है. उन्हें उनके जीवन में कभी धन-संपत्ति का अभाव नहीं रहा है. मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने वालों पर मां लक्ष्मी ( Maa Laxmi) की कृपा हमेशा बरसी है.
नाग देवता की नाराजगी कर देती है बर्बाद
नाग देवता की नाराजगी से जिंदगी में घोर आर्थिक संकट पैदा हो जाता है. नाग देवता के नाराज होने से लोग जीवन भर तंगहाली का जीवन जीते हैं. यहाँ तक इनके घर का धन-दौलत व संपत्ति भी नष्ट हो जाती है. मान्यता है कि जिनसे नाग देवता नाराज हो जाते हैं. उन पर मां लक्ष्मी की कृपा नहीं होती. ऐसे में नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए ये उपाय जरूर करें.
नाग देवता को प्रसन्न करने के उपाय (Nag Devata Upay)
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए उनकी भाव पूजा करनी चाहिए. इस पूजा में नवनाग मंत्र का जाप जरूर करें. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, नवनाग मंत्र को जब 9 बार जपा जाता है, तब उसे एक बार माना जाता है. क्योंकि एक बार नवनाग मंत्र पढ़ना केवल एक नाग देवता की आराधना करना होता है. आज 2 अगस्त को नाग पंचमी के दिन नवनाग मंत्र का जाप जरूर करें. इससे नाग देवता अति प्रसन्न होंगे. इसके अलावा चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं.
नवनाग मंत्र
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं।
शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनम्।
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।
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