Nag Panchami 2024 Highlight: नाग पंचमी आज, जानें कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय
Nag Panchami 2024 Puja: हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में नाग पंचमी का बहुत महत्व है. इस दिन भोलेनाथ के प्रिय नाग देवता की पूजा की जाती है. जानें आज के दिन का पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व.
पृथ्वी से सर्पों के नाश के लिए जब राजा परीक्षितयज्ञ के बेटे जनमेजय ने नाग दाह यज्ञ किया था तो उसमें एक-एक कर नाग जलने लगे थे. इस यज्ञ की आग को ठंडा करने के लिए आस्तिक मुनि ने उसमें दूध डाल दिया था. इस मान्यता की वजह से नाग पंचमी पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है लेकिन जीवित नागों को कभी दूध नहीं पिलाना चाहिए, ये उनके लिए जहर होता है. धातु से बने नाग पर दूध अर्पित कर पूजा करें.
कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बना दिया, राजा परीक्षित की मृत्यु नाग देव के डंसने से हुई थी. परीक्षित के पुत्र जनमेजय जब ये पता चला तो उसने बदला लेने के लिए सभी नागों को मारने के लिए नाग दाह यज्ञ किया. इस यज्ञ में पूरी पृथ्वी के नाग आकर जलने लगे.नागों ने आस्तिक मुनि की शरण ली. मुनि ने राजा जनमेजय को समझाकर ये यज्ञ करवाया. उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी, तभी से पंचमी तिथि नागों को समर्पित है. सावन में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है.
शास्त्रों में नागों को देवी लक्ष्मी का अनुचर माना गया है. मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर जो लोग गोबर से नाग देवता की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते हैं, मां लक्ष्मी उनके घर वास करती हैं. धन का कभी अभाव नहीं रहता.
नाग पंचमी पर होती है इन 7 नागों की पूजा. इनके नाम हैं शेषनाग, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, कुलिक, शंख.
- अगर आप नाग पचंमी के दिन सुबह के मुहूर्त में पूजा नहीं कर पाएं तो दोपहर में 12:13 से 01:02 तक का मुहूर्त भी अच्छा है.
- वहीं प्रदोष काल में नाग पंचमी की पूजा के लिए आप शाम 06:33 से 08:22 तक कर सकते हैं.
- वहीं अतिरात्रि में पूजा का आखिरी पहर 11:55 से 12:44 तक रहेगा.
नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर पूजा करें ,घर के मुख्य द्वार पर गोबर से नाग देवता की आकृति बनाएं, इसके बाद नाग देवता की विधिवत पूजा करें. ऐसा करने से नाग देवता की कृपा बनी रहती है.
अगर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है तो नागपंचमी का दिन इस दोष से मुक्ति या इसके प्रभाव को काम करने का उपयुक्त दिन है, इस दिन कुंडली में काल सर्प दोष हो तो शिवलिंग पर चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करें. इससे काल सर्प दोष के कारण मिलने वाले अशुभ फल से निजात मिलती है.
- नागपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
- सुबह व्रत का संकल्प लें.
- इसके बाद चौकी पर मिट्टी या धातु नाग-नागिन की प्रतिमा का दूध से अभिषेक करें.
- नाग-नागिन को फल, फूल, मिठाइयां अर्पित करें, और धूप-दीप करें.
- अंत में नाग पंचमी की आरती करें.
नाग पंचमी के दिन ग्रहों से बनने वाले वाशि योग, आनन्दादि योग, सुनफा योग, सिद्ध योग बन रहे हैं.
अगर आपकी राशि वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ राशि है तो शश योग का लाभ मिलेगा. वहीं आज चन्द्रमा कन्या राशि में रहेंगे.
- नाग पंचमी पर आज पूजा सुबह 05:47 मिनट से लेकर 08:27 मिनट के बीच की जा सकती है.
- अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 12:53 मिनट तक रहेगा.
- अमृत काल रात्रि 07:57 मिनट से 09:45 मिनट तक रहेगा.
हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है. इस दिन को श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिम मनाया जाता है. नाग पंचमी के दिन भोलेनाथ के प्रिय नागों की पूजा की जाती है.
बैकग्राउंड
Nag Panchami 2024: नाग पंचमी का पर्व सावन (Sawan 2024) माह में मनाया जाता है. सावन माह में भगवान शिव (Bhagwan Shiv) और उनके प्रिय नागों की पूजा होती है. नाग पंचमी के दिन लोग नाग देवता (Nag Devta) का पूजन करते हैं.
आज 9 अगस्त, 2024 शुक्रवार को श्रावण माह के शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से कुंडली में सर्प दोष से मुक्ति मिलती है. वहीं जो लोग इस दिन नागों की पूजा करते हैं उनकी सर्पदंश से मृत्यु नहीं होती. आइये जानते हैं साल 2024 में कब है नाग पंचमी.
नाग पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त
सावन शुक्ल की पंचमी तिथि 9 अगस्त सुबह 08 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगी और 10 अगस्त सुबह 06 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में 9 अगस्त को ही नाग पंचमी मनाई जाएगी और पूजा-पाठ, व्रत आदि किए जाएंगे.
इस दिन पूजा के लिए वैसे पूरे दिन (सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक) शुभ मुहूर्त रहेगा. अगर आप अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurat) में पूजा करना चाहते हैं तो सुबह 06:16 से 07:05 तक कर सकते हैं. वहीं दोपहर में 12:13 से 01:02 तक का मुहूर्त भी अच्छा है. प्रदोष काल (Pradosh Kal) में नाग पंचमी की पूजा के लिए आप साम 06:33 से 08:22 तक पूजा कर सकते हैं. वहीं अतिरात्रि में पूजा का आखिरी पहर 11:55 से 12:44 तक रहेगा.
नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी से कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हैं जोकि इसके महत्व को बताती है. हिंदू धर्म में कई पेड़-पौधे और पशु-पक्षियों को देवी-देवता के समान पूजनीय माना जाता है. वहीं नागों को पृथ्वी का रक्षक माना जाता है. नाग फसलों के लिए हानिकारक कीड़ों और कीटों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं.
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