Nageshwar Jyotirlinga : भगवान शिव भक्त की करुण पुकार को अनसुना नहीं करते. ऐसे ही एक परम भक्त के प्राणों की रक्षा के लिए कारागार में शिवलिंग प्रकट हुआ था. कहा जाता है कि यह मंदिर करीब ढाई हजार वर्ष पुराना है. शिवपुराण के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से पाप कट जाते हैं.  


पौराणिक मान्यता है कि गुजरात में सुप्रिय नामक वैश्य रहता था. जो शंकरजी का परमभक्त था. वह भोले नाथ की पूजा के बिना अन्य का दाना भी ग्रहण नहीं करता था. एक बार सुप्रिय दल के साथ नाव से कहीं जा रहा था. नाव दारुक राक्षक के वन की ओर चली गई. जहां दारुक के अनुचरों ने बंदी बना कर सुप्रिय को कारगार में डाल दिया गया. वहां भी उसकी भक्ति जारी रही. यह देखकर दारुक को क्रोध आया और उसने सुप्रिय के वध का आदेश दे दिया. उस दौरान भी सुप्रिय निरंतर भोले नाथ से रक्षा की गुहार लगाता रहा. तभी वहां शिव परिवार समेत एक शिवलिंग प्रकट हुआ. 


पाशुपतास्त्र से सुप्रिय ने दारूक का वंशनाथ किया
भगवान शिव ने सुप्रिय को पाशुपत अस्त्र प्रदान किया जिससे उसने दारुक और उसके राक्षसों का वध कर दिया और वह शिवधाम को चला गया. प्रभु की निर्देशानुसार ही उस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा. नागेश्वर परिसर में भगवान शिव ध्यान मुद्रा की 80 फीट ऊंची प्रतिमा भी विद्मान है. जो कई किलोमीटर दूर से देखी जा सकती है. इस ज्योतिर्लिंग गर्भगृह सभामंडल में स्थित है नागेश्वर ज्योर्तिलिंग है. गर्भगृह में चार बजे के बाद दर्शन की अनुमति नहीं है. ज्योतिर्लिंग के पीछे माता पार्वती की मूर्ति भी स्थापित है.


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