Narak Chaturdashi 2021: नरक चतुर्दशी पर घर के मुख्य द्वार पर जलाते हैं यम के नाम का दिया, जानें क्या है इसके पीछे का कारण
Narak Chaturdashi 2021: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस बार 3 नवंबर 2021, बुधवार के दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा.
Narak Chaturdashi 2021: कार्तिक मास (Kartik Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) मनाई जाती है. इसे छोटी दिवाली (Choti Diwali 2021) की पूजा भी कहा जाता है. इस बार 3 नवंबर 2021, बुधवार के दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार (Narak Chaturdashi, 3 November) मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) भी होती है. कहते हैं कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मंगलवार को हनुमान जी प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन हनुमान पूजा (Hanuman Puja) का भी विधान है. साथ ही, धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से (Narak Chaturdashi Yam Puja) दीपदान की परंपरा भी है.
नरक चतुर्दशी के दिन यम के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाता है. घर की महिलाएं रात के समय दीपक में तिल का तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इस दिन रात के समय विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर रखते हैं. और ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप करते हुए यम का पूजन करती हैं.
बता दें कि नरक चतुर्दशी के दिन दीपक को घर के बाहर मुख्य द्वार के पास अनाज के ढेर पर रखा जाता है जिसे रातभर जलाते हैं. आइए जानते हैं घर के बाहर चौमुखी दीपक जलाने के पीछे क्या कारण है? और इस दिन यमराज की पूजा क्यों की जाती है.
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार यमराज ने दूतों से पूछा कि क्या तुम्हें प्राणियों के प्राण हरण करते समय किसी पर दया नहीं आती है. यमराज के इस प्रश्न पर पहले यमदूत संकोच में पड़ते हुए मना कर दिया. परंतु यमराज के दोबारा आग्रह करने पर दूतों ने एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया. ज्योतिषियों ने जन्म के बाद नक्षत्र गणना की और बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी.
यह जानने के बाद राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर उसका लालन पालन किया. एक दिन उसी तट के किनारे महाराज हंस की युवा पुत्री यमुना तट पर घूम रही थी. राजकुमारी को देखते ही राजकुमार उस पर मोहित हो गया. और उन्होंने गंधर्व विवाह कर लिया.
विवाह के चार दिन बाद मृत्यु
ज्योतिष गणना के अनुसार विवाह के चार दिन बाद ही राजकुमार की मृत्यु हो गई. पति की मृत्यु देखकर राजकुमारी बिलख-बिलखकर विलाप करने लगी. यमदूतों ने यमराज को कहा कि महाराज उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा.
तब यमराज ने बताया अकाल मृत्यु से छुटकारे का उपाय
यमदूतों ने बताया कि राजकुमार के प्राण हरण करते समय आंसू नहीं रुक पा रहे थे. ऐसे में एक यमदूत ने यमराज से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय पूछा. इस पर यमराज ने उपाय के बारे में बताते हुए कहा कि नरक चतुर्दशी के दिन अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को पूजन और दीपदान विधि-विधान के साथ करना चाहिए. मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन जिस घर में दीपदान किया जाता है वहां लोगों को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. इसी कारण नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपदान करने की परंपरा है.
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