Narak Chaturdashi 2021: क्या है नरक चतुर्दशी, जानिए मनोवांछित फल के लिए कैसी होनी चाहिए पूजा विधि
Narak Chaturdashi 2021: दीवाली के पांच दिनी पर्व में धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. यह घर में शुद्धता और संपन्नता का कारक मानी गई है, आइए जानते हैं, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
Narak Chaturdashi 2021: पंचांग के अनुसार तीन नंबर 2021 की सुबह 09:02 बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू होकर चार नवंबर 2021 प्रात: 06:03 पर समाप्त होगा. पंचांग भेद के चलते यह तिथि घट-बढ़ भी सकती है. इस तरह रूप चौदस या नरक चतुर्दशी तीन नवंबर को मनाई जाएगी.
नरक चतुर्दशी पर क्या करें
1. इस दिन यमराज के लिए तेल का दीया मुख्य द्वार से बाहर लगाएं.
2. इस दिन शाम को देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर और घर के बाहर रख दें. ऐसा करने से लक्ष्मीजी का घर में निवास हो जाता है.
3. भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से सौंदर्य बढ़ता है. इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि का समय) में घर से बेकार के सामान फेंक देना चाहिए. दरिद्रता नाश होती है.
स्नान की विधि
1. सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान का महत्व है, कहते हैं इससे रूप में निखार आ जाता है. स्नान के लिए कार्तिक अहोई अष्टमी के दिन एक तांबे के लौटे में जल भरकर रखा जाता है और उसे स्नान के जल में मिलाकर स्नान किया जाता है. मान्यता के अनुसार ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है.
2. स्नान के दौरान तिल के तेल से मालिश कर औधषीय पौधा अपामार्ग अर्थात चिरचिरा को सिर के ऊपर से चारों ओर तीन बार घुमाने का प्रचलन है.
3. स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें. ऐसा करने से पापों का नाश हो जाता है.
नरक चतुर्दशी पूजा विधि
1. इस दिन छह देवों की होती है. यमराज, श्रीकृष्ण, काली माता, भगवान शिव, रामदूत हनुमान और भगावन वामन की पूजा होती है.
2. घर के ईशान कोण में पूजा करें. मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में ही रखें. पूजा के समय पंचदेव स्थापित करे. इनमें सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव,विष्णु हैं.
3. इस दिन छह देवों की षोडशोपचार पूजन करें. इसमेंपाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ानी चाहिए.
4. सभी के सामने धूप, दीप जलाकर मस्तक पर हलदी, चंदन और चावल लगाएं। पूजन में अनामिका अंगुली से गंध लगाना चाहिए। षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें, इस दौरान मंत्र जाप करते रहें.
5. पूजा के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं होता है. पकवान पर तुलसी का पत्ता रखा जाता है.
6. मुख्य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं.
शुभ मुहूर्त
अमृत काल- 01:55 से 03:22 तक.
ब्रह्म मुहूर्त- 05:02 से 05:50 तक.
विजय मुहूर्त - दोपहर 01:33 से 02:17 तक.
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:05 से 05:29 तक.
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:16 से 06:33 तक.
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:07 तक.
दिन का चौघड़िया
लाभ : प्रात: 06:38 से 08:00 तक.
अमृत : प्रात: 08:00 से 09:21 तक.
शुभ : प्रात: 10:43 से 12:04 तक.
लाभ : शाम 04:08 से 05:30 तक.
रात चौघड़िया
शुभ : शाम 07:09 से 08:47 तक.
अमृत : 08:47 से 10:26 तक.
लाभ : 03:22 से 05:00 तक.
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