(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Narasimha Dwadashi 2024: नरसिंह द्वादशी कब ? होलिका दहन से पहले इस दिन का विशेष महत्व, जानें डेट
Narasimha Dwadashi 2024: होलिका दहन से 3 दिन पहले नरसिंह जयंती मनाई जाएगी, इस दिन का विशेष महत्व है. जानें मार्च में नरसिंह द्वादशी की सही तारीख, पूजा मुहूर्त और क्यों खास है ये दिन
Narasimha Dwadashi 2024: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह भगवान की पूजा की परंपरा है.
ये ऐसा अवतार था जिसमें श्रीहरि के शरीर आधा हिस्सा मानव का और आधा हिस्सा शेर का था. नरसिंह द्वादशी होली से 3 दिन पहले मनाई जाती है. आइए जानते हैं नरसिंह द्वादशी 2024 की डेट, पूजा मुहूर्त और क्या है इस दिन का विशेष महत्व.
नरसिंह द्वादशी 2024 डेट (Narasimha Dwadashi 2024 Date)
इस साल नरसिंह द्वादशी 21 मार्च 2024 को मनाई जाएगी. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह भगवान एक खंबे को चीरते हुए बाहर आए थे और असुर हिरण्यकश्यप से अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी. इसी दिन भगवान नरसिंह ने दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था.
नरसिंह द्वादशी 2024 मुहूर्त (Narasimha Dwadashi 2024 muhurat)
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 21 मार्च 2024 को देर रात 02.22 पर शुरू होगी और अगले दिन 22 मार्च 2024 को प्रात: 04.44 पर इसका समापन होगा.
- पूजा मुहूर्त - सुबह 06.24 - सुबह 07.55
- सुबह 10.57 - दोपहर 12.28
नरसिंह द्वादशी महत्व (Narasimha Dwadashi signficance)
होलिका दहन से पहले भगवान नरसिंह की पूजा की जाती है. भगवान नरसिंह ने प्रहलाद को वरदान दिया कि, जो कोई फाल्गुन शुक्ल द्वादशी तिथि पर श्रीहरि के नरसिंह अवतार का स्मरण करते हुए, श्रद्धा से उनका व्रत और पूजन करेगा उसके समस्त दोष,रोग, शोक दूर हो जाएंगे. संकट से मुक्ति मिलेगी. दुश्मनों पर जीत मिलेगी और बीमारियां दूर रहेंगी.
नरसिंह द्वादशी पूजा विधि (Narasimha Dwadashi puja vidhi)
नरसिंह द्वादशी के दिन ब्रह्म मुहर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान नरसिंह की तस्वीर सामने रखकर उनके समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद उन्हें अबीर, गुलाल, चंदन, पीले अक्षत, फल, पीले पुष्प, धूप, दीप, पंचमेवा, नारियल वगैरह अर्पित करें. पूजा में ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥ का 108 बार जाप करें. जा करने के बाद भक्त प्रहलाद और नरसिंह की कथा का पाठ करें. विष्णु जी की आरती करें.
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