Narasimha Jayanti: 6 मई 2020 को नरसिंह जयंती है. बैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान नरसिंह जयंती होती है. हिंदू धर्म में इस जयंती को विशेष महत्व दिया जाता है. भगवान विष्णु का यह अवतार यह बताता है कि जब भी किसी भक्त पर कोई संकट आता है तो भगवान विष्णु उसकी रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं.


भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था और राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था. हिरण्यकश्यप को वध करना इतना आसान नहीं था, क्योंकि उसे भगवान ब्रह्मा से एक विशेष वरदान प्राप्त था. जिसके चलते वह स्वयं को ही भगवान मानने लगा था.


नरसिंह अवतार की कथा

नरसिंह जयंती के दिन जो भी भक्तगण व्रत रखते हैं उन्हें इस कथा का श्रवण करना चाहिए. एक पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले कश्यप नामक ऋषि थे. ऋषि की पत्नी का नाम दिति था, जिससे दो पुत्र हरिण्याक्ष और हिरण्यकश्यप थे. भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का वराह रूप धारण कर वध किया था क्योंकि उसके अत्याचार बढ़ते ही जा रहे थे.


अपने भाई का बदला लेने के लिए हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या की और ब्रह्मा जी से अजेय होेने का वरदान प्राप्त किया. वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप इतना अंहकारी हो गया कि उसने अपनी प्रजा से स्वयं को भगवान की तरह पूजने का आदेश दिया. आदेश न मानने पर हिरण्यकश्यप ने प्रजा पर अत्याचार करने लगा.


हिरण्यकश्यप का पुत्र अपने पिता के कृत्यों का विरोध करता था. उसने कई बार समझाने की कोशिश की और प्रभु की शरण में जाने के लिए कहा. यह हिरण्यकश्यप को कतई पसंद नहीं था. प्रहलाद भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहते थे, हिरण्यकश्यप ने इसका विरोध किया. जब प्रहलाद ने पिता की बात नहीं मानी तो हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का यातनाएं देना शुरू कर दिया. जब उसके अत्याचार बढ़ते गए तब भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया. नरसिंह भगवान ने भक्त प्रहलाद को अर्शीवाद दिया कि जो भी आज के दिन मेरा व्रत रखेगा वह सभी प्रकार के कष्टों से दूर रहेगा. जीवन में सुख शांति बनी रहेगी.


नरसिंह जयंती: इस दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की होती है पूजा, ये है शुभ मुहूर्त