Narmada Jayanti 2024: पृथ्वी पर कैसे आईं मां नर्मदा, शिव जी से जुड़ी है ये रोचक कथा, जानें
Narmada Jayanti 2024: गंगा में स्नान से जो फल प्राप्त होता है वो नर्मदा के दर्शन मात्र प्राप्त हो जाता है. नर्मदा स्नान का विशेष महत्व है इस बार नर्मदा जयंती पर जानें मां नर्मदा से जुड़ी ये रोचक कथा.
Narmada Jayanti 2024: नर्मदा नदी का सनातन धर्म में विशेष स्थान है. कहते हैं गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वह नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है.
शास्त्रों में कहा गया है - ‘गंगा कनखले पुण्या, कुरुक्षेत्रे सरस्वती, ग्रामें वा यदि वारण्ये,पुण्या सर्वत्र नर्मदा’ अर्थात गंगा कनखल में, सरस्वती कुरुक्षेत्र में पवित्र है लेकिन गांव हो या वन, नर्मदा हर जगह पुण्य प्रदायिक महारसिता है. इस बार नर्मदा जयंती 16 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी. जानें मां नर्मदा का अवतरण कैसे हुआ, पृथ्वी पर कैसे आईं मां नर्मदा.
ऐसे ही मां नर्मदा की उत्पत्ति
नर्मदा के जन्म की कहानी बहुत ही रोचक है. पुराणों के अनुसार शिव से ही नर्मदा की उत्पत्ति हुई है. इसलिए उन्हें शिव की पुत्री माना गया है. स्कंध पुराण में लिखा है कि राजा-हिरण्यतेजा पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए 14 हजार सालों तक घोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और नर्मदा जी के पृथ्वी पर आने का वर मांगा.
शिव जी के आदेश से 12 साल की कन्या के रूप में नर्मदा जी मगरमच्छ पर आसीन होकर मेकलपर्वत अमरकंटक पर अवतरित हुईं. इसलिए इन्हें मैखल पुत्री भी कहा जाता है. यहां से नर्मदा गुजरात के भडूच में खंबात की खाड़ी में जाकर विलीन होती हैं. अमरकंटक को मां का शिरोभाग माना गया है तो भडूच को पैर.
नर्मदा में स्नान का महत्वNarmada Jayanti 2023
नर्मदा अर्थात नर्म - सुख और दा- देना वाली. आदिगुरु शंकराचार्य ने नर्मदाष्टक में माता को सर्वतीर्थ नायकम् से संबोधित किया है यानी मां नर्मदा को सभी तीर्थों का अग्रज माना है. स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के हर एक अवतार ने नर्मदा के तट पर आकर मां नर्मदा की स्तुति की थी. सरस्वती में सनान करने से जो फल तीन दिन में, गंगा स्नान से एक दिन में मिलात है वहीं फल नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है.
मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है. गोदावरी और कृष्णा के बाद नर्मदा तीसरी सबसे लंबी नदी है जो पूरी तरह से भारत के भीतर बहती है.
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