Narsimha Jayanti 2022: भगवान नृसिंह को भगवान विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है. जन कल्याण हेतु अवतरित नृसिंह भगवान का जन्मोत्सव इस साल 14 मई को मनाया जाएगा. वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह भगवान ने अवतार लिया था. इस साल चतुर्दशी को रवि योग और स्वाति नक्षत्र के एक साथ आ जाने के कारण 14 मई को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस समय भगवान नृसिंह की पूजा अर्चना करने का विशेष फल प्राप्त होगा.
नृसिंह जयंती पूजा मुहूर्त
- नृसिंह जयंती व्रत पूजा संकल्प का शुभ समय: 14 मई को प्रातः 10:57 से दोपहर 01: 40 तक
- नृसिंह जयंती सायंकाल पूजा समय: सायं 04: 22 से 07:05 तक
नृसिंह अवतार की कथा
हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या करके भगवान से यह वरदान प्राप्त किया था कि वह न दिन में मरे न रात में, न घर के अंदर मरे न घर के बाहर, न जमीन पर मरे न आसमान में, न मनुष्य से मरे न किसी जानवर से, न किसी अस्त्र से मरे न किसी शस्त्र से. इस प्रकार का वरदान प्राप्त करके वह अपने आप को अमर समझ रहा था, और लोगों पर अत्याचार कर रहा था.
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. वह हमेशा नारायण का जाप करता था. जिससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई, किंतु हर बार वह विफल रहा. एक दिन उसने स्वयं ही प्रहलाद को मारने का विचार बनाया और संध्या के समय उसे अपने राज दरबार में बुलाकर पूछा कि तुम्हारी रक्षा करने के लिए इस समय नारायण कहां से आएंगे? तो प्रह्लाद ने कहा कि मेरे नारायण कण कण में बसे हैं. जन-जन में बसे हैं.
इतना सुनकर हिरण्यकश्यप क्रोध से भर गया. उसने प्रहलाद को मारने के लिए जैसे ही अपना खड़ग उठाया, वैसे ही खंभे को फाड़ कर नृसिंह अवतार में भगवान प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप को पकड़ कर घर की देहरी पर ले जाकर रखा और हिरण्यकश्यप को उठाकर अपनी जांघ पर रख लिया और उसे उसका वरदान याद दिलाते हुए कहा देखो न यह दिन है न रात है, न तुम घर के बाहर हो न तुम घर के भीतर हो, न मैं मनुष्य हूं न मैं जानवर हूं, न तुम जमीन पर हो न तुम आसमान में, अपने बड़े बड़े नाखून दिखाते हुए कहा न ये अस्त्र है न शस्त्र है, ऐसा कहते हुए उन्होंने अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप की छाती फाड़ दी. इस तरह भगवान नरसिंह में अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की और अपने वरदान की भी रक्षा की.
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