Narsingh Jayanti 2021 Date: पंचांग के अनुसार नरसिंह जयंती 25 मई, मंगलवार को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाएगी. बीते वर्ष यानी 2020 में यह जयंती 6 मई को मनाई गई थी.
नरसिंह जयंती का महत्व
नरसिंह जयंती के दिन ही भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था. भगवान नरसिंह जीवन में आने वाली बड़ी बाधाओं को दूर करते हैं, जब भगवान का भक्त कोई बड़ी मुसीबत में फंस जाता है तो सच्चे मन से स्मरण करने से भगवान उसकी रक्षा अवश्य करते हैं, ऐसी मान्यता है.
प्रह्लाद की रक्षा के लिए लिया था अवतार
जब राजा हिरण्यकश्यप का अंहकार और अत्याचार चरम पर पहुंच गया, तब भगवान विष्णु को नरसिंह का अवतार लेना पड़ा. हिरण्यकश्यप ने उनके भक्त प्रहलाद पर अत्याचार की जब सभी सीमाएं पार कर दीं तब भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था. इस अवतार में भगवान विष्णु अतिक्रोध में नजर आते हैं.
नरसिंह अवतार की कथा
पुरातन काल में राजा हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया और विचित्र वरदान मांग लिया. इस वरदान में उसने मांगा कि ना उसे कोई मानव मार सके, और ना ही कोई पशु, ना रात और न ही दिन में उसकी मृत्यु हो, उसे कोई भी ना घर के भीतर और ना बाहर मार सके, इतना ही नहीं उसने ये भी मांगा कि ना धरती पर और ना ही आकाश में, ना किसी अस्त्र से और किसी शस्त्र से उसकी मौत हो.
ब्रह्मा जी उसे वरदान देकर अदृश्य हो गए. वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप को अंहकार हो गया. वह स्वयं को भगवान मानने लगा. अपनी प्रजा से उसने खुद को भगवान की तरह पूजने का आदेश दिया. उसने अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया. उसके अत्याचार से तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि होने लगी.
भक्त प्रह्लाद
हिरण्यकश्यप का पुत्र था, जिसका नाम प्रह्लाद था. प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र द्वारा भगवान विष्णु की पूजा करना कतई पसंद नहीं था. समझाने के बाद भी प्रह्लाद नहीं माने तो उसने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया लेकिन हर बार वे बच जाते. इससे उसका क्रोध और बढ़ गया.
नरसिंह अवतार
प्रह्लाद ने अपने पिता को समझाने की कोशिश की कि वे सही मार्ग पर चलें. भगवान विष्णु तो हर जगह मौजूद हैं. इस पर हिरण्यकश्यप ने कहा कि अगर भगवान सर्वत्र हैं, तो इस स्तंभ में वो क्यों नहीं दिखते. इतना कहते ही उसने उस स्तंभ पर प्रहार किया. तभी स्तंभ में से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए. जो आधा मानव आधा शेर का रूप था. उन्होंने हिरण्यकश्यप को उठा लिया और उसे राजमहल की दहलीज पर ले गए. भगवान नरसिंह ने उसे अपनी जांघों पर पटका और उसके सीने को नाखूनों से फाड़ दिया.
हिरण्यकश्यप का ऐसे किया वध
नरसिंह अवतार के रूप में जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया, उस समय वह न तो घर के अदंर था और ना ही बाहर, ना दिन था और ना रात, भगवान नरसिंह ना पूरी तरह से मानव थे और न ही पशु. नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को ना धरती पर मारा ना ही आकाश में बल्कि अपनी जांघों पर मारा. मारते हुए शस्त्र-अस्त्र नहीं बल्कि अपने नाखूनों का इस्तेमाल किया. इस दिन से ही नरसिंह जयंती मनाने की परंपरा प्रारंभ हुई.
नरसिंह जयंती शुभ मुहूर्त
नरसिंह जयंती पूजा का समय: दोपहर 4 बजकर 26 मिनट से शाम 7 बजकर 11 मिनट तक बना हुआ है.
पूजा की अवधि: 2 घंटे 45 मिनट
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