National Maritime Day 2023, Mythological Story Salty Water of Ocean: भारत में हर साल 5 अप्रैल के दिन को राष्ट्रीय समुद्री दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से महाद्वीप वाणिज्य, व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था में समुद्र के महत्व को बढ़ावा देना है. 1919 में सबसे पहली बार 5 अप्रैल को समुद्री दिवस मनाया गया था.


इतिहासकारों के अनुसार समुद्र की शुरुआत ईसा पूर्व सिंधु घाटी के लोगों द्वारा मेसोपोटामिया के साथ समुद्री व्यापार की शुरुआत के समय से मानी जाती है. लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से भी समुद्र का काफी महत्व है. हिंदू धर्म ग्रंथों में अदिति के पुत्र वरुण देव को समुद्र का देवता कहा गया है. ऋग्वेद के अनुसार वरुण देव ही सागर के सभी मार्गों के ज्ञाता हैं.



हिंदू धर्म में समुद्र का महत्व


हिंदू धर्म में समुद्र से जुड़ी पौराणिक और सबसे प्रचलित कथा में समुद्र मंथन का जिक्र मिलता है, जिसमें देवताओं और असुरों ने अमृत कलश के लिए समुंद्र मंथन किया और इस दौरान समुद्र से 14 बहुमूल्य रत्न निकले थे. वहीं दूसरी ओर पौराणिक साहित्य कहानियों में हम समुद्र में जलपरियों के होने की कहानी भी बचपन से सुनते आए हैं. पौराणिक कहानियों में यह भी उल्लेख है कि समुद्र में 7 पाताल लोक हैं.  


हम सभी जानते हैं कि समुद्र का पानी बहुत खारा है, जोकि पीने योग्य बिल्कुल नहीं है. हालांकि धार्मिक कथाओं के अनुसार, शुरु में समुद्र का पानी दूध की तरह सफेद और मीठा हुआ करता था. समुद्र से जुड़ी एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि कैसे एक शाप के कारण समुद्र का पानी खारा हो गया. जानते हैं समुद्र के पानी के खारा होने के रहस्य से जुड़ी यह पौराणिक कथा.


क्यों खारा है समुद्र का पानी


समुद्र के पानी के खारा होने के कई वैज्ञानिक कारण बताए गए हैं. लेकिन शिव महापुराण के अनुसार, भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पुत्री पार्वती ने कठोर तप की. उनकी इस तपस्या से तीनो लोक भयभीत हो गए और इस समस्या को हल ढूंढने लगे. इधर समुद्र देव पार्वती के स्वरूप पर मोहित हो गए.


पार्वती की तपस्या पूरी होने के बाद समुद्र देव ने उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा. लेकिन पार्वती तो मन से शिव को ही अपना पति मान चुकी थी. पार्वती द्वारा विवाह का प्रस्ताव अस्वीकार किए जाने पर समुद्र देव क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान शंकर के लिए अपशब्द कहे. समुद्र देव ने पार्वती से कहा कि, मैं सभी प्राणियों की प्यास बुझाता हूं, मेरा चरित्र भी दूध के समान सफेद है. उस भस्मधारी में ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं. तुम मुझसे विवाह के लिए हां कर तो मैं तुम्हें समुद्र की रानी बना दूंगा.


पार्वती ने दिया समुद्र को यह शाप


भगवान शंकर के बारे में अपशब्द सुनकर पार्वती को भी क्रोध आ गया और उन्होंने समुद्र देव को यह शाप दे दिया कि जिस दूध के समान सफेद और मीठे जल पर तुम्हें अभिमान है वह आज के बाद खारा हो जाएगा, धार्मिक मान्यता के अनुसार, पार्वती जी के इसी शाप के बाद समुद्र का पानी खारा हो गया और पीने योग्य नहीं रहा.


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