Navami 2024 Highlight: आज दुर्गावनमी, मां सिद्धिदात्री की पूजा का मुहूर्त, भोग, कन्या पूजन की विधि सभी जानें
Maha Navami 2024 Highlight: शारदीय नवरात्रि की महानवमी 11 अक्टूबर 2024 को है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा, कन्या पूजन और हवन किया जाता है. यहां जानें दुर्गानवमी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी.
शारदीय नवरात्रि का व्रत पारण 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10.58 के बाद किया जाएगा. नवरात्रि पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी की समाप्ति के बाद जब दशमी तिथि प्रचलित हो को माना गया है.
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
मेष राशि - लाल चुनरी अर्पण करें, साथ ही कुंवारी कन्याओं को भी लाल चुनरी दान दें. सौभाग्य बढ़ता है
वृषभ राशि - चुनरी में बताशे रखकर माता के चरणों में चढ़ाएं. धन संकट दूर होता है.
मिथुन राशि - महानवमी पर गेहूं का दान करना चाहिए. बरकत बनी रहती है.
कर्क राशि - दुर्गा नवमी के दिन माता दुर्गा को गुड़ की मिठाई अर्पण कर दान करें.
आज महानवमी की पूजा में बैंगनी रंग के कपड़े पहनकर माता की पूजा करें. मान्यता है इससे देवी सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं. ये समृद्धि का प्रतीक है.
शुभ (उत्तम) - दोपहर 12.08 - दोपहर 01.34
चर (सामान्य) - शाम 04.28 - शाम 05.55
बैकग्राउंड
Maha Navami 2024 Highlight: आज 11 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि (Navratri navami) का आखिरी दिन है. सालों बाद ऐसा नवरात्रि में एक ही दिन महाष्टमी (Ashtami) और महानवमी दोनों तिथि का एकसाथ संयोग बना है. आज दोपहर 12 बजे के बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी. नवरात्रि की दुर्गानवमी मां दुर्गा की 9वीं शक्ति मां सिद्धिदात्री को समर्पित है.
इनकी आराधना से समस्त सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है. मनुष्य ही नहीं बल्कि देवता, गंधर्व, राक्षस भी देवी सिद्धिदात्री की उपासना जरुर करते हैं. भोलेनाथ ने भी मां सिद्धिदात्री से समस्त सिद्धियों को पाया था. शारदीय नवरात्रि की महानवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, उपाय सभी यहां जानें.
शारदीय नवरात्रि 2024 महानवमी (Maha Navami 2024 tithi)
पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगा.
क्यों की जाती है मां सिद्धिदात्री की पूजा
देवी पुराण के अनुसार शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में जो आधी देवी हैं वो ये सिद्धिदात्री माता ही हैं। हर तरह की सफलता के लिए इन देवी की आराधना की जाती है. माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से सिद्धियों की प्राप्ति के साथ अंत में मनुष्य जीवन-मृत्यु के चक्र से निकलकर मोक्ष को प्राप्त होता है.
दुर्गा नवमी का महत्व
मां दुर्गा ने 9 दिन तक महिषासुर से युद्ध किया था और दशमी तिथि पर उसका अंत कर संसार का कल्याण किया था. दुर्गानवमी पर लोग अपनी कुलदेवियों की पूजा कर, उन्हें भोग लगाते हैं और कन्या पूजन किया जाता है. कन्या पूजन के बिना माता की उपासना अधूरी मानी जाती है. साथ ही महानवमी पर हवन भी करते हैं.
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