(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Navgrah Peedahar Stotra: पौष माह के पहले ही रविवार सभी ग्रह को प्रसन्न करने का उत्तम उपाय, करें ये नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र पाठ
Ravivar Stotra Path: मार्गशीर्ष माह के बाद आज रविवार से पौष माह की शुरुआत हो गई है. कहते हैं पौष माह में सूर्य देव और भगवान विष्णु की अराधना का विशेष महत्व है.
Ravivar Stotra Path: मार्गशीर्ष माह (Margashirsha Month) के बाद आज रविवार से पौष माह (Paush Month) की शुरुआत हो गई है. कहते हैं पौष माह (Paush Month) में सूर्य देव (Surya Dev) और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की अराधना का विशेष महत्व है. आज पौष माह (Paush Month) के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि और रविवार का दिन है. आज का दिन भगवान सूर्य देव की पूजा (Lord Surya Dev Puja) के लिए खास माना जाता है. रविवार के दिन सूर्य देव को जल देने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. कहते हैं कि अगर आपकी कुंडली में सूर्य (Week Surya In Kundali) कमजोर स्थिति में है, तो नियमित रूप से स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें.
वहीं, अगर कुछ और ग्रह भी कमजोर हैं या उनकी दशी खराब है, तो उनके दुष्प्रभावों को दूर करने और ग्रहों के दोषों से मुक्ति पाने के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (Navgraha Pidahar Stotra) का पाठ सबसे उत्तम उपाय है. इस पाठ करने से ही सूर्य देव समेत 9 ग्रह प्रसन्न होंगे और ग्रहों का दुष्प्रभाव कम होगा और किसी भी कार्य में तरक्की मिलेगी.
जानें नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र के बारे में (Know About Navgrah Pidahar Stotra)
ब्रह्माण्ड पुराण में ग्रहों के दुष्प्रभावों के निवारण के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (Navgrah Pidahara Stotra) के विशेष महत्व बताया गया है. बता दें कि इस स्तोत्र के माध्यम से सूर्य समेत सभी ग्रहों पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की गई है. आइए जानें नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र के बारे में.
नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र (Navgraha Pidahar Stotra)
ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:। विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रवि:।।1।।
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:। विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधु:।।2।।
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा। वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु में कुज:।।3।।
उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:। सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:।।4।।
देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:। अनेकशिष्यसम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु:।।5।।
दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:। प्रभु: ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगु: ।।6।।
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:।।7।।
अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्। उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तम:।।8।।
महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:। अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी:।।9।।
आज रविवार के दिन से ही नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र पाठ का प्रारंभ कर सकते हैं.
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