Navratri 2019: आज नवरात्रि का आठवां दिन है. आज के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. माता दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां गौरी ने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने इन्हें दर्शन दिए तो उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गोरा हो गया और इनका नाम गौरी हो गया.


महागौरी की महत्ता
माना जाता है कि माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए मां गौरी की ही पूजा की थी. विवाह संबंधी तमाम समस्याएं इनकी पूजा से हल हो जाती हैं. जिन कन्याओं का विवाह नहीं होता है तो उनके लिए गौरी पूजन विधान किया जाता है. जब भगवती सीता का एक साल तक स्वंयवर होने के बाद भी विवाह नहीं हो रहा था तो जनक जी ने माता सीता को इन्हीं की पूजा करने मंदिर भेजा था.



मां गौरी के लिए मंत्र- मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए ‘ऊँ भगवते महागौर्यै नमः’ इसी मंत्र का जाप करना चाहिए.


कैसे महागौरी को करें प्रसन्न?


नर्वाण मंत्र से यज्ञ करें


गाढ़े बैंगनी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें


पहले कवच, फिर कीलक और उसके बाद अर्गला स्त्रोत पढ़ें


संपूर्ण अध्याय के बाद संधि पूजा करें


संधि पूजा के समय पाठ करना होता है लाभकारी...


पाठ का समय संधि पूजा के समय हो तो बेहतर होता है. अष्टमी, नवमी तिथि एकसाथ होने पर संधि पूजा काल आता है. 48 मिनट की संधि होती है. अष्टमी जाती है और नवमी आती है. संधि काल पूजा की दृष्टि से सबसे अहम होता है. ऋतु, दिवा, मुहूर्त की संधि बहुत महत्वपूर्ण होती है


कब करें पूजा


10:30 से 11:18 बजे तक समय है


11:46 बजे से कभी भी पूजा कर सकते हैं


तीसरा समय सूर्यास्त के बाद रात 09:48 बजे तक


साढ़े 9 से 10:18 बजे के बीच का समय संधि समय है


मां गौरी की पूजा कैसे करें


मां गौरी की पूजा पीले कपड़े पहनकर की जाती है.


मां के सामने दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें.


पूजा में मां को सफेद या पीले फूल चढ़ाएं.


इसके बाद मां गौरी के मंत्रों का जाप करें.



‘हे गौरी शंकरार्धांगी
यथा त्वं शंकर प्रिया,
तथा मां कुरू कल्याणी
कान्ताकांता सुदुर्लभाम’


इस मंत्र का जाप लाल चंदन या मोती की माला से करना लाभकारी होता है. मंत्र जाप करते समय चमकदार कपड़े पहनें. अगर पूजा आधी रात को की जाए तो इसके परिणाम और भी शुभ होते हैं.


कैसे करें कन्या पूजन


9 बर्तनों में कोई भी भोजन लें

बाहर से भी भोजन मंगवा सकते हैं

भोजन कन्याओं के लिए है

8 साल से छोटी कन्या को भोजन कराएं

कन्याओं का स्वागत करें, चरण छुएं

कोई उपहार भी दे सकते हैं

सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के बीच कन्या भोजन कराएं

अष्ठमी के दिन क्यों करवाते हैं कन्याओं को भोजन


नवरात्र के अष्ठमी के दिन कन्या पूजन का विधान है. नवरात्र केवल व्रत और उपासना का पर्व नहीं है. ये नारी शक्ति और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है. इसलिए कुंआरी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी हैं. हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं की पूजा की परंपरा रही है. लेकिन अष्टमी और नवमी को कन्याओं की पूजा अवश्‍य करनी चाहिए. दो वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा का विधान है. अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग-अलग रूप को दर्शाती है. कन्याओं के पूजन के दौरान उन्हें प्रेम और श्रद्धा से भोजन कराएं और दक्षिणा दें.


महागौरी की आराधना के लाभ
दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है. इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है. इनकी उपासना से भक्तों को सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं. भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते. वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है.