(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Navratri 2019: छठे दिन होती है माता कात्यायिनी की अराधना, ये है पूजा विधि
Navratri 2019: शारदीय नवरात्र में आज माता के छठे स्वरूप कात्यायिनी की पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार इस दिन पूजा करने से मंगल, बृहस्पति की स्थिति अच्छी हो जाती है. दूध में डुबाई हुई अंगूठी को दशमी की सुबह पहनें.
Navratri 2019: शारदीय नवरात्र के छठे दिन आज माता कात्यायिनी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां कात्यायिनी की पूजा करने से शादी में आ रही बाधा दूर होती है. यहां जानिए आज के दिन पूजा की विधि क्या है और किस मंत्र का जाप कर पूजा करने से माता प्रसन्न होंगी.
क्या है मां कात्यायिनी की पूजा विधि?
रोज की तरह य़ज्ञ से शुरुआत करें. नवार्ण मंत्र से जाप करें. ऊं ऐं हीं क्लीं चामुंडाय विच्चै का जाप करें. ऊं ऐं हीं क्लीं नमस चंडीकाय स्वाहा: का जाप कर यज्ञ करें. आज 11वां अध्याय पढ़ना होगा. सुबह 11:46 बजे से पाठ करें. लाल, पीले रंग का इस्तेमाल करें. दोनों में से किसी एक रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करें. मन में भी पाठ कर सकते हैं. वाहन में बैठे हुए भी जाप कर सकते हैं. सिर्फ सुनने से लाभ नहीं होगा. खुद पाठ करना जरूरी है. आज की पूजा से विवाह, वैवाहिक जीवन में सफलता मिलती है. आज विशेष दान करना है. सोना या पीतल, पीला वस्त्र, गुड़, शहद, चने का दान करें. दान बड़े भाव से दें. घर या बाहर का पका हुआ भोजन दान दे सकते हैं. किसी बुजुर्ग विधवा महिला को दान करें.
मां कात्यायिनी की कृपा कैसे पाएं?
मां कात्यायिनी की पूजा से मंगल, बृहस्पति की स्थिति अच्छी हो जाती है. वैवाहिक जीवन का संकट खत्म हो जाता है. कई बार मंगल, बृहस्पति खराब होने पर भी विवाह हो जाता है. ताकतवर ग्रह दशा की वजह से कई बार हम फैसले ले लेते हैं. बाद में फैसले पर अफसोस होता है. ऊं श्रीं बृहस्पताय नम: का जाप करें. मंत्र के जाप से वैवाहिक जीवन में संकट से मुक्ति मिलेगी. कुछ महीनों में असर दिखने लगेगा. भाषा, वाणी का सोच-समझकर उपयोग करें. दूध में डुबाई हुई अंगूठी को दशमी की सुबह पहनें. रातभर साधना के अभ्यास के बाद सुबह यज्ञ करें. यज्ञ के बाद कन्या पूजन करें फिर अंगूठी धारण करें.
आज का शुभ समय
अभिजीत काल- सुबह 11:46 - 12:33 मिनट तक
अमृत काल- मुहूर्त नहीं है
किस मंत्र से प्रसन्न होंगी मां कात्यायिनी?
ऊं देवी कात्यायिनी नम: मंत्र का जाप करें. दोपहर 03:42 बजे से 04:06 बजे के बीच में पूजा करें. रात को साढ़े 9 बजे के बाद भी पूजा कर सकते हैं.
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