नवरात्रि का आगाज़ हो चुका है. आदि शक्ति की आराधना का ये पर्व 9 रातों तक चलता है. इस बार 25 अक्टूबर को विजयदशमी है और उसी के साथ नवरात्रि का समापन भी हो जाएगा. यूं तो माता रानी सदैव ही अपने भक्तों की इच्छा को पूरा करती हैं लेकिन इन खास दिनों में जो भी सच्चे मन से मां से मांगा जाए तो वो अवश्य ही पूरा होता है. नवरात्रि का मौका है तो देवी भागवत पुराण की बात ज़रुर होनी चाहिए. क्योंकि इसी पुराण में बताई गई हैं सदाचार की नीतियां. आखिर जीवन में हमें कौन कौन से कर्म करने चाहिए और किन कामों से दूर रहना चाहिए. इन बातों का उल्लेख देवी भागवत पुराण के 11वें स्कंध में वर्णित हैं. आइए बताते हैं कि आखिर कौन कौन सी हैं वो सदाचार की नीतियां जिनको अपनाने से हमारे अंदर हो सकता है सद्गुणों का विकास.




  1. धर्म के अनुसार काम करने से व्यक्ति बड़ी से बड़ी बाधा को पार कर लेता है. हमारे अच्छे कामों को ही पहला धर्म माना गया है.

  2. अच्छे कर्मों से लंबी उम्र, मित्र, धन, अन्न की प्राप्ति होती है. नेक कामों से सभी पाप कर्म का फल नष्ट होता है.

  3. धर्म कर्म बुरे समय में दीपक की तरह हमारा मार्गदर्शन करते हैं. कर्मों से ही ज्ञान की वृद्धि होती है और ज्ञान हमें परेशानियों से बचा लेता है.

  4. जो लोग बुरे काम करते हैं, उन्हें इस लोक में और परलोक में भी दुख ही मिलता है. इन्हें रोगों का सामना करना पड़ता है. ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए.


ये सभी बातें देवी भागवत पुराण में समझाई गई हैं ताकि लोग इनका पालन करें. कलयुग में ये बातें और सार्थक हो जाती है. जहां इंसान और इंसानियत दोनों ही खत्म होते जा रहे हैं. कहते हैं कि नारदमुनि ने भगवान से पूछा था कि आखिर किन कर्मों से देवी भगवती की कृपा प्राप्त की जा सकती है? और किन कार्यों से आखिर मनुष्य को बचना चाहिए. तब भगवान नारायण ने इस पुराण में उन्हीं कृत्यों के बारे में पूरी तरह से समझाया था. हर साल लोग पूरे श्रद्धाभाव से नवरात्रि व्रत करते हैं लेकिन अगर व्रत के साथ साथ अगर इस पुराण में शामिल इन सदाचारों को आत्मसात कर लिया जाए तो निजी परेशानियों से लेकर सामाजिक परेशानियों तक से निजात पाई जा सकती हैं.