शारदीय नवरात्रि इस बार ऐसे विकट समय में पड़ी है जब सारा संसार कोरोना महामारी से जूझ रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती पर पाई जाने वाली 9 औषधियां ऐसी हैं जिन्हें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का वास होता है. ये औषधियां शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाती हैं. जानते हैं इनके बारे में


नवदुर्गा का पहला रूप मां शैलपुत्री:
हरड़ औषधि देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं. हरण सात प्रकार की होती हैं. जिनसे अलग-अलग स्वास्थ्य लाभ मिलता है.


नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी
ब्राह्मी औषधी को ब्रह्मचारिणी का स्वरूप माना जाता है.ब्राह्मी एक बहुउपयोगी औषधी है इसके सेवन से याददाश्त बढ़ती है, तनाव में कमी आती है. यह स्वर को मधुर करती है इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है. ब्राह्मी गैस और मूत्र संबंधी रोगों के उपचार के लिए बहुत फायदेमंद है.


मां दुर्गा की तीसरा रूप चंद्रघंटा
इसे चन्दुसूर या चमसूर भी कहा गया है. यह धनिए जैसा पौधा होता है. यह औषधि मोटापा दूर करने वाली, शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली औषधि है.


नवदुर्गा चौथा रूप कूष्मांडा
कूष्मांडा औषधि से पेठा मिठाई बनती है. इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं. इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है. मानसिक रोगों में यह अमृत समान है.


नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता
देवी स्कंदमाता अलसी में विद्यमान है. यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है.


नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी
देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका. इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं. यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है.


नवदुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि (नागदौन) 
यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं. यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है.


नवदुर्गा का आठवां रूप महागौरी (तुलसी) :
तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र. ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है.


नवदुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री (शतावरी) :
दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं. यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है.


बता दें नवदुर्गा के नौ औषधि स्वरूपों को सर्वप्रथम मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया गया. चिकित्सा प्रणाली का यह रहस्य वास्तव में ब्रह्माजी ने दिया था जिसे बारे में दुर्गा कवच में संदर्भ मिल जाता है.


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