Ganesh Puja: पंचांग के अनुसार 21 अक्टूबर 2020 को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी है. इस दिन नवरात्रि का पांचवा दिन भी है. नवरात्रि में गणेश जी की पूजा से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा जाती है, इस दिन भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है.
गणेश जी को पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाले हर विघ्न से मुक्ति मिलती है. गणेश जी बुद्धि के भी दाता है. बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा विधि पूर्वक करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. गणेश जी के साथ संपूर्ण शिव परिवार की करें पूजा
बुधवार के दिन विशेष संयोग बन रहा है. नवरात्रि में गणेश पूजा के साथ संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. शिव परिवार की पूजा करने से सभी देवताओं का आर्शीवाद प्राप्त होता है. स्वयं भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं.
गणेश पूजन की विधि
बुधवार को सुबह स्नान करने के बाद पूजन आरंभ करें. पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश को रखें. गणेश जी को मोदक, मोतीचूर के लड्डू, श्रीखंड बेहद प्रिय हैं. इसलिए पूजा के समय इनका भोग लगाएं. गणेश जी को दूर्वा घास भी प्रिय है. गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं. गणेश आरती का पाठ करें. शिव परिवार का आर्शीवाद प्राप्त करें. जल अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं.
गणेश जी कैसे बने गजानन
एक पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी की उत्पत्ति माता पार्वती के उबटन से हुई है. माता पार्वती एक बार नंदी से नाराज हो गईं और उन्होने अपने उबटन से एक बालक का निर्माण किया और उसमें प्राण डाल दिए. माता पार्वती ने इस बालक से कहा कि आज से तुम मेरे पुत्र हो. इसके बाद माता पार्वती स्नान करने के लिए जाने लगी और उस बालक से कहा कि ध्यान रखना कोई भी अंदर न आए. पुत्र ने माता को ऐसा ही करने का वचन दिया. इसके बाद वहां पर भगवान शिव जी पधारे और माता पार्वती के भवन में जाने लगे. बालक ने शिव जी का रास्ता रोक दिया. इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया. जब माता पार्वती को इस घटना की जानकारी हुई तो वे गुस्से से भर आई. मात पार्वती का क्रोध देख संपूर्ण सृष्टि में हड़कंप मच गया है. तब सभी देवताओं ने मिलकर उनकी स्तुति की और बालक को पुनर्जीवित करने के लिए कहा. इसके बाद भगवान शिव के आदेश पर भगवान विष्णु एक हाथी का सिर काटकर लाए. हाथी का सिर बालक के धड़ पर रखकर भगवान शिव ने जीवित कर दिया. तभी से यह बालक भगवान गणेश कहलाया. गणेश जी को गणपति, विनायक, विघ्नहरता, प्रथम पूज्य आदि कई नामों से भी बुलाया जाता है.
Chanakya Niti: चाणक्य की इन बातों को जिसने जान लिया वो इंसान को पहचानने में कभी नहीं खा सकता है धोखा