Maa Durga Mantra: 7 अक्टूबर, गुरुवार से नवरात्रि (Navratri Maa Durga Puja) आरंभ हो रहे हैं. नौ दिन मां दूर्गा को समर्पित हैं. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है नवरात्रि में मां दुर्गा धरती पर अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए आती हैं. इसलिए लोग सच्चे दिल से मां की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि उनके संकट दूर हो सकें. इन दिनों व्रत रखें जाते हैं, मां की पूजा, कीर्तन कर मां का ध्यान किया जाता है. इन दिनों मान्यता है कि मां दुर्गा के मंत्रों का जाप (Maa Durga Mantra Jaap) करने से व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होती है. ये मंत्र बहुत कल्यानकारी होते हैं.
ग्रंथों में लिखा है कि इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में कोई बाधा नहीं रहती. साथ ही सभी सुखों की प्राप्ति होती है. इन दिनों मां दुर्गा की पूजा करते समय उनके स्वरुप का स्मरण करें. इतना ही नहीं, कहते हैं कि अगर इन मंत्रों का जाप सच्चे दिल से किया जाए, तो व्यक्ति को सफलता मिलती है. मान्यता है कि सिर्फ नवरात्रि ही नहीं, बल्कि इन मंत्रों का जाप नियमित रूप से भी किया जा सकता है. नवरात्रि के दिन शुभ होने के कारण इन दिनों में विशेष रूप से कर सकते हैं. कहते हैं कि इन मंत्रों का उच्चारण ठीक तरह से नहीं किया जाए, तो मंत्र जाप का फल नहीं मिलता. इसलिए मंत्रों के उच्चारण का विशेष रूप से ध्यान रखें. आइए जानते हैं मां दुर्गा के इन 4 मंत्रों के बारे में.
नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप (Maa Durga These Mantra Chanting In Navratri)
1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
4. नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें।
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