Maa Durga 16 Shringar: हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में मां दुर्गा (Maa Durga) के शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का विशेष महत्व है. नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इन दिनों मां धरती पर अपने भक्तों के दुख दूर करने आती हैं. ऐसे में सच्चे मन से की गई अराधना से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर से हो चुकी है. इन 9 दिनों में मां दुर्गा के पूजा-अर्चना की जाती है. कहते हैं कि मां का 16 ऋंगार (16 Shringar Maa Durga) किया जाता है. आइए जानते हैं मां को खुश करने के लिए कौन से 16 ऋंगार किए जाते हैं और इसके पीछे क्या कारण है.
मां के 16 ऋंगार (Maa Durga 16 Shringar)
मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के 16 ऋंगार किए जाते हैं. साथ ही, विवाहित महिलाएं भी इन दिनों में अच्छे से सज-धज कर मां की पूजा करती हैं. आइए जानते हैं मां के क्या ऋंगार किए जाते हैं.
फूलों का ऋंगार
मां दुर्गा के 16 ऋंगार में फूलों का ऋंगार भी एक है. इसे काफी शुभ माना जाता है. कहते हैं फूलों की महक मन को ताजगी देती है. घर में सकारात्मकता का विकास होता है.
बिंदी
मान्यता है कि माथे पर सिंदूर या टीका लगाने से शरीर में पॉजिटिविटी का संचार होता है. इतना ही नहीं, इससे मानसिक शांति भी मिलती है. इस दिन माथे पर चंदन का टीका भी लगाया जा सकता है. माथे पर टीका या सिंदूर लगाना 16 ऋंगार का एक अहम हिस्सा है.
मेहंदी
किसी भी त्योहार में मेहंदी को शुभ माना गया है. मेहंदी 16 ऋंगार का एक हिस्सा है. कहते हैं कि मेहंदी शरीर को शीतलता प्रदान करती है और त्वचा संबंधी रोगों को दूर करने में मदद करती है. इसलिए महिलाएं मां के साथ-साथ अपने भी हाथों में मेहंदी लगाती हैं.
सिंदूर लगाना
मांग में सिंदूर भरना भी सुहाग की निशानी है. सिंदूर लगाने के कई वैज्ञानिक फायदे भी होते हैं. कहते हैं सिंदूर लगाने से चेहरे पर निखार आता है. मान्यता है कि सिंदूर लगाने से शरीर में विद्धुत ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
मंगल सूत्र
कहते हैं कि गले में मंगल सूत्र या हार पहनने से ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा रुक जाती है. इतना ही नहीं, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है. गले में सोने की चीज पहनने से हृदय की धड़कन भी नियंत्रित रहती है. नवरात्रि के दिनों में मां का पूरा ऋंगार किया जाता है. गहने आदि भी पहनाए जाते हैं.
कानों में कुंडल
मान्यता है कि कान में कूंडल या बाली पहनने से मानसिक तनाव नहीं होता. इतना ही नहीं, कान छेदने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है. साथ ही, सिर का दर्द कम करने में भी मदद करता है.
माथे पर स्वर्ण टिका
माथे पर लगा स्वर्ण टिका महिलाओं की सुंदरता बढ़ाता है.
हाथों में कंगन या चूड़ियां
कहा जाता है कि हाथों में कंगन या चूड़ियां आदि पहनने से ब्लड सर्कुलेशन (रक्त संचार) ठीक रहता है. इससे न तो थकान होती है और साथ ही ये हॉर्मोंस को भी नियंत्रित रखता है.
बाजूबंद
कहते हैं कि बाजूबंद पहनने से रक्त प्रवाह ठीक रहता है. साथ ही, दर्द से मुक्ति मिलती है.
कमरबंद
कमरबंद पहनने से पेट संबंधी दिक्क्तें कम होती हैं. मान्यता है कि इससे कई बीमारियों से भी बचाव होता है.
पायल
जहां पैरों में पहनी गई पायल सुंदरता में चार-चांद लगाती है. वहीं, शारीरिक विद्युत ऊर्जा शरीर में संरक्षित होती है. इतना ही नहीं, ये भी कहा जाता है कि चांदी की पायल पैरों की हड्डियों को मजबूत बनाती हैं.
बिछिया
सुहाग की प्रमुख निशानी के रूप में बिछिया को पहना जाता है. इसे पैरों की उंगलियों में पहना जाता है. कहते हैं कि बिछिया नर्वस सिस्टम और मांसपेशियां को मजबूत बनाने में मदद करती है.
नाक में नथनी
कहते हैं कि नाक में सोने का तार या आभूषण पहनने से महिलाओं में दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ती है.
अंगूठी
अंगूठी पहनने से जहां हाथों की सुदंरता बढ़ती है, वहीं रक्त संचार शरीर में सही बना रहता है. कहते हैं कि इससे आलस कम आता है.
काजल
कहते हैं कि काजल आंखों की रोशनी तेज करने में सहायक होता है. काजल से नेत्र संबंधी रोग नहीं होते.
मेकअप
चेहरे पर मेकअप करने से महिलाओं के आत्म विश्वास में वृद्धि होती है और एनर्जी बनी रहती है.