Navratri: यश, बल और धन के साथ ही संतान सुख के लिए करें आज स्कंदमाता की पूजा, जानें मुहूर्त व भोग
Navratri 2021 Skandmata Puja: नवरात्रि की पांचवीं तिथि को मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. इनकी पूजा से यश, बल और धन के साथ ही संतान सुख के प्राप्ति की मान्यता है.
Navratri 2021 Skandmata Puja: पंचांग के अनुसार, आज शारदीय नवरात्रि की पांचवीं तिथि है. इस तिथि पर मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है. चूंकि इस बार शारदीय नवरात्रि में तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन होने के कारण नवरात्रि 8 दिनों की है. इस लिए शारदीय नवरात्रि के आज चौथे दिन पंचम तिथि पड़ रही है. नवरात्रि की पंचम तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है.
स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत निराला है. इनकी चार भुजाएं हैं. इनकी दो भुजाओं में कमल के फूल हैं. एक भुजा ऊपर को उठी हुई है. जिससे भक्तों को आशीर्वाद प्रदान कर रहीं हैं. एक हाथ से पुत्र स्कंद को गोद में लिए हुए है. स्कंदमाता की सवारी शेर है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. इनकी पूजा स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में किया जाता है.
स्कंदमाता को प्रिय इन चीजें से लगाएं भोग
मां स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. इनकी उपासना से परम सुख और शांति का अनुभव होता है. मां स्कंदमाता को श्वेत रंग बेहद प्रिय है. इस लिए मां की उपासना सफ़ेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करके करें. पूजा के दौरान स्कंदमाता को केले या दूध की खीर का भोग अर्पित करें.
स्कंदमाता की पूजा का महत्व
नवरात्रि के 5वें दिन अर्थात पंचम तिथि को मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि जो भी भक्त स्कंदमाता की विधि –विधान से पूजा करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है. यश, बल और धन की वृद्धि होती है तथा मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं.
स्कंदमाता को सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है. इनकी उपासना से उपासक तेज और कांतिमय हो जाता है. कहा जाता है की यदि उपासक स्कंदमाता की उपासना एकाग्र मन और चित्त से करें तो उसे किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है.