Navratri 2022 Maa Chandraghanta Aarti: नवरात्रि की तीसरी शक्ति मां चंद्रघंटा की पूजा 28 सितंबर 2022 को की जाएगी. इस दिन उन लोगों को देवी चंद्रघंटा की पूजा जरूर करनी चाहिए जो मंगल के अशुभ प्रभाव से पीड़िता हैं.


कुंडली में मंगल के दूषित होने पर अधिक क्रोध आना, रोगों से परेशान रहना जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं. मंगल को साहस और पराक्रम का प्रतीक माना गया है. वहीं देवी चंद्रघंटा की पूजा से भी साधक को वीरता और परक्रमी बनने का वरदान मिलता है. ऐसे में देवी की आराधना से मंगल के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं. आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की आरती और कथा.


मां चंद्रघंटा की आरती


जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।


पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।


चंद्र समान तुम शीतल दाती


 चंद्र तेज किरणों में समाती।


क्रोध को शांत करने वाली।


मीठे बोल सिखाने वाली।


मन की मालक मन भाती हो।


चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।


सुंदर भाव को लाने वाली।


हर संकट मे बचाने वाली।


हर बुधवार जो तुझे ध्याये।


श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।


मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।


सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।


शीश झुका कहे मन की बाता।


पूर्ण आस करो जगदाता।


कांचीपुर स्थान तुम्हारा।


करनाटिका में मान तुम्हारा।


नाम तेरा रटूं महारानी।


भक्त की रक्षा करो भवानी।


मां चंद्रघंटा की कथा


पौराणिक कथा के अनुसार दानवों का स्वामी महिषासुर ने इंद्रलोक और स्वर्गलोक में अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए देवताओं पर आक्रमण कर दिया था. कई दिनों तक देवाओं और देत्यों के बीच युद्ध चला. युद्ध में खुद को पराजित होता देख सभी देवता त्रिमूर्ति यानी कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे. तीनों के क्रोध से मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति हुई.


ऐसे हुई मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति


राक्षसों का संहार करने के लिए शिव जी ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, इंद्रदेव ने घंटा, सूर्य ने तलवार मां चंद्रघंटा को प्रदान किए. देवी चंद्रघंटा ने नवरात्रि के अंतिम दिन महिषासुर का वध कर विजय प्राप्त की और धर्म-संसार की रक्षा की.


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