Shardiya Navratri 2022 Ashtami-Navami Vrat Parana: नवरात्रि की महा अष्टमी 3 अक्टूबर 2022 और महा नवमी 4 अक्टूबर 2022 को है. नवरात्रि के ये दो दिन मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की आराधना के लिए बहुत अहम माने जाते हैं. नवरात्रि में कई लोग अष्टमी और कुछ नवमी के दिन व्रत का पारण करते हैं. शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. आइए जानते हैं कैसे करें अष्टम पर व्रत का पारण का मुहूर्त और विधि.
नवरात्रि दुर्गाष्टमी 2022 मुहूर्त (Nvaratri 2022 Ashtami Muhurat)
नवरात्रि में अष्टमी तिथि 02 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू हो गई है. अष्टमी तिथि का समापन 03 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर होगा. शास्त्रों के अनुसार व्रत का पारण अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद किया जाता है.
महा अष्टमी व्रत पारण मुहूर्त - शाम 04.37 (3 अक्टूबर 2022)
महा अष्टमी पर कैसे करें व्रत का पारण (Navratri Vrat parana Vidhi)
- दुर्गाष्टमी पर मां के आठवें रूप मां महागौरी का पूजन होता है. देवी महागौरी की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. महा अष्टमी पर देवी की उपासना के लिए संधि काल पूजा का विशेष महत्व है. दो प्रहरों के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं. सुबह-शाम की पूजा के बाद व्रत खोलना उत्तम होता है. संधि पूजा में मां के समक्ष पशु या सब्जी की बलि चढ़ाई जाती है
- अष्टमी पर जो लोग व्रत का पारण करते हैं वो शुभ मुहूर्त में 9 कन्याओं का पूजन करें. उन्हें चने, पूड़ी, हलवे का भोजन कराएं. ध्यान रहे इस दिन कन्याओं के साथ एक बटुक को भी भोजन के लिए बुलाएं. बटुक यानी बालक को बाबा भैरव का रूप माना जाता है. भैरव बाबा के बिना दुर्गा मां की पूजा अधूरी मानी जाती है. 2-10 साल की 9 कन्याएं देवी दुर्गा का नौ स्वरूप मानी जाती हैं. इनकी पूजा के बाद ही व्रत खोलना चाहिए.
- दुर्गाष्टमी पर व्रत का पारण करने वाले मां की उपासना, कन्या पूजन के साथ हवन भी करें. कहते हैं हवन किए बिना नवरात्रि के व्रत का फल नहीं मिलता. शास्त्रों के अनुसार शुभ मुहूर्त में ही हवन के बाद अन्न ग्रहण करें.
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी के प्रसाद में बनाएं भोजन से ही व्रत का पारण करना चाहिए. पारण करने से पहले आचमी करें, एक दोने में भोजन के तीन कोल रखकर त्रिदेव(ब्रह्मा, विष्णु, महेश) को प्रणाम करें और फिर अन्न ग्रहण करें. भगवान के लिए निकाले भोजन को बाद में गाय को खिलाएं.
- शास्त्रों के अनुसार व्रत के पारण में सात्विक भोजन ही करें. नहीं तो पूरी पूजा-पाठ, अनुष्ठान व्यर्थ चले जाएंगे. नवरात्रि की नवमी पर व्रत का पारण करने वाले भी इसी विधि अनुसार व्रत खोलें.
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