Navratri 2023: हर कोई अपनी मन की इच्छाओं और देखे हुए सपनों की पूर्ति करना चाहता है जो भी लक्ष्य बनाएं वो हासिल हो. शारदीय नवरात्रि उन्हीं कामनाओं की पूर्ति का उपयुक्त समय है. शारदीय नवरात्रि को लेकर कुमकुम से जुड़े कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताया गया है, जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. इसलिए इन उपायों को जरूर नोट कर लें. 







अपनी मनोवांछित कामनाओं की एक लिस्ट बना लें और मां की उपासना के बीज मंत्र में वो कामना जोड़ते चले जाएं


जैसेः-‘’या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण सस्थिताम् नमस्तस्येः नमस्तस्येः नमोः नमः’’ इसी तरह ‘’या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण सस्थिताम् नमस्तस्येः नमस्तस्येः नमोः नमः’’ अब जो शब्द है शक्ति, विद्या, उनकी जगह आपकी अलग-अलग कामनाएं नित्य प्रतिदिन परिवर्तित होती रहेंगी. जैसे- ‘’या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण सस्थिताम’’ ‘’या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण सस्थिताम’’ ‘’या देवी सर्वभूतेषु वाणी रूपेण सस्थिताम’’ इस तरह नवरात्रि के नौ दिन अलग-अलग कामनाओं के साथ इस मंत्र का उच्चारण 11 बार, 21 बार और हो सकें तो 1 माला का जाप करें, देखिए चमत्कार होगा.



  • मंदिर में करें ध्यान: आप शारीरिक तौर पर कहीं और हैं और मैंटली कहीं ओर. ध्यान बिल्कुल खत्म हो चुकी है. एकाग्रता का भटकाव चरम पर है. यदि ऐसी स्थितियां आपके साथ है तो ये नवरात्रि आपके लिए वरदान से कम नहीं है. इस चमत्कारी प्रयोग से इन समस्या का निदान होगा. नवरात्रि के दिनों में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर आप अपने घर के पूजन कक्ष में ध्यान मुद्रा में बैठकर मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान लगाएं. ध्यान के बाद माथे पर कुमकुम का तिलक लगा दें, जिससे चित में स्थिरता आने लगेगी और इन नौ दिनों बाद एक विराट अंतर आपकी एकाग्रता में आ चुका होगा. 

  • सिंदूर कुमकुमम प्रयोग: स्त्रियां सदा सौभाग्यशाली रहना चाहती हैं और पुरुष भाग्यशाली. नवरात्रि के नौ दिनों में मां के आशीर्वाद से ये संभव हो सकता है. घट स्थापना के दिन से ही दो छोटी कटोरी लें, एक में सिंदूर तो दूसरी में कुंकुम भरकर मां के सामने रख दें. नित्य पूजा-अर्चना ध्यान के समय भी कुमकुम और सिंदूर से भरी ये कटोरियां वहीं रहने दें. ज्योत की दीप्ति और मां का आशीर्वाद मिलाकर कुमकुम और सिंदूर को जाग्रत अवस्था प्रदान कर देता है. इन नौ दिनों के बाद अगले 21 दिन और दीपावली तक पुरुष कुमकुम से तिलक करें और स्त्रियां वही सिंदूर अपनी मांग में भरें. ये प्रयोग भाग्य और सौभाग्य को बढ़ाने वाला होगा. 

  • एक अखंड के साथ जलाएं नौं ज्योत- हम नवरात्रि पर्व में नौ दिनों तक अखण्ड ज्योत लगाते हैं. ज्योत जिसमें प्रकाश और तेज दोनो हैं. एक तरह से शक्ति का सगागम है नवरात्रि. आप एक छोटे से विधान द्वारा मां के दिव्य स्वरूप से मन चाहा आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. आपने पहले दिन जो ज्योत लगाई वो अखण्ड ज्योत है जोकि नौ दिनों तक रहने वाली. इसके अलावा प्रत्येक दिन एक-एक ज्योत बढ़ाते चले जाइए ये ज्योत अखण्ड रहे ये आवश्यक नहीं है. इस तरह प्रजकात्मक रूप से आपने देवी के नौ ही स्वरूपों के आगे अपनी भक्ति से उनका आहृान किया है. 



पहले रूप में माँ को शैलपुत्री के रूप में जाना गया है. शैल का अर्थ शिखर यानि ऊर्जा जब अपने शिखर पर होती है तब ही आप मां के उस दिव्य स्वरूप को देख सकते हैं.
दूसरा स्वरूप है ब्रह्मचारणी का, यानि अन्नत में व्याप्त. तीसरा स्वरूप है चन्द्रघण्टा, मां का ये स्वरूप मन से जुड़ा हुआ है और मन का कारक ज्योतिष के अनुसार है चन्द्रमा से है जो हमारे मन में दमहंजपअपजल विचार आते है, घृणा आती है, ईष्या आती है और हम मन को साफ करने के लिए संघर्ष करते रहते है. ये स्थितियां उत्पन्न होती है चन्द्रमा की वजह से.

अब चन्द्रघण्टा में दूसरा शब्द है घण्टा, घण्टे में ध्वनि एक ही होती है और नहीं हो सकती अर्थात मन को एक जगह, एक स्वर और आवाज के साथ स्थिर करने वाली मां का नाम है चन्द्रघण्टा.

चौथा स्वरूप कूष्माण्डा है, ऊर्जा अर्थात एनर्जी सुक्ष्म रूप से लेकर विशाल रूप तक होती है जिसकी व्याख्या कूष्माण्डा करती है. पांचवा स्वरूप है स्कंदमाता, मां का ये स्वरूप ज्ञान को कर्म में बदलने में सहायक है. छठा स्वरूप है मां कात्यायनी का, ये स्वरूप कात्यायनी अज्ञात की वो शक्ति है, जोकि अच्छाई के क्रोध से उत्पन्न होती है. क्रोध दो तरह के होते है अच्छाई का क्रोध ये क्रोध ज्ञानी का क्रोध है और बुराई का क्रोध भावनाओं और स्वार्थ के साथ किया जाता है. इस तरह मां कात्यायनी क्रोध का वो रूप है जो सब प्रकार की परेशानी को नष्ट कर देती हैं. सांतवा स्वरूप है कालरात्रि, ये मां का सबसे भयंकर रूप है, प्रकृति के प्रकोप का कारण ये ही रूप है.

 

आठवां रूप महागौरी है, मां का आठवां स्वरूप है जो कि अतिसुन्दर है करूणामयी सबको आशीर्वाद देता हुआ प्रतीत होता है. नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री, जीवन में सम्पूर्णता प्रदान करने वाला है मां का स्वरूप सिद्धिदात्री. आपकी कामना उठे इसके पहले ही कार्य पूर्ण हो जाएं वहीं रूप मां सिद्धिदात्री का है. प्रतिदिन मन में मां के अलग-अलग स्वरूप का ध्यान करके एक-एक ज्योत बढ़ाते रहना चाहिए.  


आस्था के साथ मां, की भक्ति करें-मां स्नेह की मूर्ति है. हर गलती को क्षमा करने वाली है. मां को मनाने में बच्चे को कभी भी कुछ क्षणों से ज्यादा का समय नहीं लगता, इस दुनिया में सब कुछ मुश्किल हो सकता है लेकिन मां का आशीर्वाद हमेशा सहजता और सरलता से प्राप्त होता है. नवरात्रि पर्व में हम नौ दिन तक उसी मां के स्वरूप की पूजा-अर्चना करते है. हमारे सनातन धर्म में शब्द को ब्रह्म कहा गया है और यदि आप शब्दों पर गौर करें तो पाएंगे कि काम, क्रोध, मोह, लोभ और लालच पुरुष वाचक शब्द है. जबकि श्रद्धा, दया, भक्ति, करूणा, जिज्ञासा और क्षमा सारे स्त्री वाचक शब्द है. आप इसे सिर्फ इत्तेफाक नहीं कह सकते. मां की मूल संरचना में ही ये सारे गुण विद्यमान है. इसीलिए इन नौ दिनों में पूरी आस्था के साथ मां की भक्ति कीजिए हरेक मनोकामना सिद्ध होगी.

 







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