Navratri 2023: नवदुर्गा के 9 रूप कहलाते हैं वित्तीय ज्ञान की पाठशाला, मां कूष्मांडा से सीखें निवेश के ये खास गुण
Navratri 2023:नववरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा का जीती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां दुर्गा ये रूप वित्तीय मार्केट की सीख देते हैं. नवदुर्गा के चौथे रूप कुष्मांडा से सीखे निवेश के गुण.
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Navratri 2023: भारतीय तीज-त्योहार में परपंरा और उत्सव का अनूठा संयोजन देखने को मिलता है. इन तीज-त्योहारों से न सिर्फ धार्मिक गतिविधियां झलकती हैं बल्कि इससे हमें जीवन से जुड़ी कई सीख भी मिलती है.
नवरात्रि हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में है, जिसकी शुरुआत रविवार 15 अक्टूबर से हो चुकी है और आज बुधवार 18 अक्टूबर 2023 को मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाएगी.
मां दुर्गा के रूप हैं वित्तीय ज्ञान की पाठशाला
नवरात्रि के नौ दिनों का शुभ त्योहार देशभर में धूमधाम के साथ और अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. साथ ही नवरात्रि के नौ दिनों में लोग देवी दुर्गा के 9 रूपों की पूजा भी करते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि में की गई पूजा-उपासना से जीवन में खुशियों का आगमन होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इसलिए नवदुर्गा के इन 9 रूपों को अद्वितीय विशेषताओं का प्रतीक माना गया है, जो जीवन के मूल्य और आदर्श की भी सीख देते हैं.
लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि, मां दुर्गा के ये 9 विभिन्न रूप आपको निवेश व फाइनेंशियल मार्केट की भी सीख देते हैं. यही कारण है कि मां दुर्गा के इन 9 रूपों को ज्ञान की पाठशाला कहा जाता है. आज नवरात्रि का चौथा दिन है और आज मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं मां कुष्मांडा का स्वरूप आपको फाइनेंस या निवेश के लिए क्या सिखाता है?
मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda)
हिंदू धर्म में देवी कुष्मांडा को प्रकाश और शुभारंभ का प्रतीक माना गया है. पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार, मां ने अपनी एक मुस्कान से ब्रह्मांड के अंधेरे को दूर कर दिया था. जिस प्रकार मां अंधेरे ब्रह्मांड में प्रकाश लेकर आईं, उसी प्रकार से देवी दुर्गा के चौथे रूप कुष्मांडा के गुणों से आपको प्रभावी वित्तीय योजना बनाने में मदद मिलेगी और आपके जीवन का अंधकार दूर हो जाएगा.
मां कुष्मांडा के गुणों से आपको यह सीख लेनी चाहिए कि, हमें परिवार को अंधेरे में रखने के बजाय पर्सनल फाइनेंस के बारे में जानकारी देनी चाहिए और उन्हें वित्तीय फैसलों में शामिल करना चाहिए.
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