Maa Kalratri Ki Aarti: अकाल मृत्यु के भय से छुटकारा पाना चाहते हैं तो करें मां कालरात्रि की आरती और कवच का पाठ
Maa Kalratri Aarti: नवरात्रि की सप्तमी को मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है.
Maa Kalratri Aarti: नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि का पूजन (Maa Kalratri Pujan) किया जाता है. मान्यता है कि कलियुग में प्रत्यक्ष फल देने वाली देवी मां कालरात्रि हैं. कहते हैं कि अगर मां कालरात्रि की पूजा की जाती है तो अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है. मां कालरात्रि का विकराल रूप दैत्यों, भूत-प्रेत का नाश करता है. साथ ही, भक्तों को शुभफल देती हैं। इसी कारण से ही मां को शुभंकरी कहा जाता है. कहते हैं कि मां कालरात्रि का पूजन करते समय रातरानी के फूल और गुड़ अवश्य चढ़ाने चाहिए. इससे मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं. वहीं, भक्तों के सभी तरह के भय और दुख भी दूर करती हैं.
शास्त्रों में लिखा है कि नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि के पूजन के बाद मां के कवच और आरती का भी पाठ अवश्य करना चाहिए. अगर भक्त ऐसा करते हैं तो भानु चक्र जाग्रत होता है. इतना ही नहीं, मां कालरात्रि की कृपा से अग्नि, जल, आकाश, भूत-पिशाच भय तथा प्रेतबाधा समाप्त हो जाते हैं. आइए डालते हैं एक नजर मां के कवच और आरती के पाठ पर.
मां कालरात्रि का कवच (Maa Kalratri Kavach)
ऊँ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि।
ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥
रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम
कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी।
वíजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि।
तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥
मां कालरात्रि की आरती Maa Kalratri Aarti
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली मां जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय॥
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