नवरात्रि के नौंवे दिन नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है. इस दिन मां दुर्गा के नौंवे स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है.कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि के व्रत सफल और संपन्न माने जाते हैं. इन्हें कंजक भी कहते हैं.
इन कन्याओं का देवी का रूप माना जाता है. इन्हें भोग लगाकर पैर छुए जाते हैं. सामर्थ्य अनुसार गिफ्ट आदि देकर विदा किया जाता है. बता दें कि कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक की कन्याओं का ही पूजन किया जाता है. इस बार महानवमी पर्व 10 अप्रैल का पड़ रहा है. कन्या पूजन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना विशेष जरूरी है.
कब है महानवमी तिथि (Mahanavami Tithi)
हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार 10 अप्रैल को राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा. राम नवमी के दिन सुकर्मा योग दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक है, वहीं पुष्य नक्षत्र पूर्ण रात्रि तक है. विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 बजे से दोपहर 03:21 बजे तक और अमृत काल रात 11:50 बजे से देर रात 01:35 बजे तक है. राम नवमी के दिन राहुकाल शाम 05 बजकर 09 मिनट से शाम 06 बजकर 44 मिनट तक होगा. इस दिन पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 12 बजकर 4 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक होगा.
कन्या पूजन के नियम (Kanya Pujan Niyam)
राम नवमी के दिन नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है. इस दिन दो साल की कन्या का पूजन करने से दरिद्रता दूर होती है.
तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति रूप मानी जाती है. इनके पूजन से धन-धान्य और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
चार साल की कन्या का पूजन से घर का कल्याण होता है.
पांच साल की कन्या के पूजन से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.
वहीं, छह साल की कन्या को कालका रूप कहा गया है. इनकी पूजा करने से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है.
सात साल की कन्या का पूजन करने से चंडिका ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है.
आठ वर्ष की कन्या का पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है.
वहीं, नौ वर्ष दुर्गा का रूप कहलाती है. इनके पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है और असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं.
10 साल की कन्या का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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