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नवरात्रि का आठवां दिन: माता महागौरी की पूजा करने से मन होता है शुद्ध, ये है पूजन विधि, मंत्र और कथा
नवरात्रि का आठवां दिन: इस दिन माता महागौरी की पूजन का विधान है. इस दिन को दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. माता महागौरी अपने भक्तों के कष्टों की दूर करती हैं. माता महागौरी की पूजा विधि विधान से करने से कई गुना लाभ मिलता है.
Navratri 2020: माता महागौरी की पूजा का नवरात्रि के दिनों में करना अधिक श्रेयष्कर माना गया है. नवरात्रि में माता की पूजा करने से पाप से मुक्ति मिलती है. मन में विचारों की शुद्धता आती है. हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है. माता अपने भक्तों की बल और बुद्धि में भी वृद्धि करती हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार माता महागौरी ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. बाद में भगवान शिव ने तपस्या से प्रसन्न होकर माहागौरी को स्वीकार कर लिया. कहते हैं कि कड़ी तपस्या के कारण माता महागौरी का शरीर काला हो गया और उस पर धूल मिट्टी की परतें जम गईं. तब भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से नहलाया. भगवान शिव के स्नान कराने से माता का शरीर स्वर्ण के समान दमकने लगा. तभी से माता का नाम महागौरी पड़ गया.
माता का स्वरुप
माता महागौरी को अत्यंत सौम्य देवी के रूप में जाना जाता है. ये मां दुर्गा की आठवी शक्ति हैं. माता की चार भुजाएं हैं. ये वृषभ की सवारी करती हैं. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है.
पूजन विधि
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए. रात की रानी के फूल माता महागौरी को अधिक पसंद है. इसलिए इस दिन फूल से पूजा करनी चाहिए. माता को चौकी पर स्थापित करने से पहले गंगाजल से स्थान को पवित्र करें. चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका यानी 16 देवियां, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाकर स्थापना करें. माता की सप्तशती मंत्रों से पूजा करें.
पूजन सामग्री
गंगा जल, शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण,पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग, अगरबत्ती से माता की पूजा की जाती है.
माता महागौरी को प्रसन्न करने के मंत्र
1- श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:.
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददाे.
2- या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.
3- ओम महागौरियेः नमः.
माता महागौरी की आरती
नवरात्रि में विशेष है महागौरी का ध्यान.
शिव की शक्ति देती हो अष्टमी को वरदान.
मन अपना एकाग्र कर नन्दीश्वर को पाया.
सुबह शाम के दूप से काली हो गई काया.
गंगा जल की धार से शिव स्नान कराया.
देख पति के प्रेम को मन का कमल खिलाया.
बैल सवारी जब करे शिवजी रहते साथ.
अर्धनारीश्वर रूप में आशीर्वाद का हाथ.
सर्व कला सम्पूरण माँ साधना करो सफल.
भूलूं कभी ना आपको याद रखूं पल पल.
नवरात्रों की माँ कृपा कर दो माँ.
नवरात्रों की माँ कृपा कर दो माँ.
जय माँ महागौरी.जय जय महागौरी.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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