Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा ने दुश्मन से घिरे युवक को ऐसे बचाया था, जानें क्या है वो चमत्कार
Neem Karoli Baba: बाबा नीम करोली के कई ऐसे चमत्कार है जो खूब चर्चा में रहे. वह हमेशा एक कंबल लपेटे रहते थे. कहते हैं ये उनका बुलेटफ्रूफ कंबल था, इसे लेकर भी एक काफी रोचक कहानी है.
Neem Karoli Baba: भारत को ऋषि मुनियों की धरती कहा जाता है. प्राचीन काल से ही भारत कई महात्माओं और संतों का जन्म स्थल रहा है. इन्हीं महापुरुषों में एक थे बाबा नीम करोली. बाबा का नाम देश के चर्चित संतों में शुमार है. नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क का नाम लिया जाता है.
दुनिया के कई नामचीन दिग्गजों ने इनके दरबार में आज भी मथा टेकने नैनीताल के पंतनगर उनकी समाधि स्थल पर जाते हैं. "कैंची धाम" के नीम करोली बाबा को लेकर मान्यता है कि इन्हें हनुमान जी की उपासना से चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त थी. बाबा नीम करोली के कई ऐसे चमत्कार है जो खूब चर्चा में रहे. वह हमेशा एक कंबल लपेटे रहते थे. कहते हैं ये उनका बुलेटफ्रूफ कंबल था, इसे लेकर भी एक काफी रोचक कहानी है. आइए जानते हैं.
बाबा नीम करोली का ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ (Neem Karoli Baba 'Bulletproof Blanket' story)
रिचर्ड एलपर्ट ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर 'मिरेकल ऑफ़ लव' नामक एक किताब लिखी इसी में 'बुलेटप्रूफ कंबल' नाम से एक घटना का जिक्र है. उनके मुताबिक दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एक बुजुर्ग दंपत्ति का बेटा सरहद पर युद्ध लड़ने गया था. एक दिन बाबा उस दंपत्ति के घर पहुंचे. वह दोनों बाबा के मुरीद थे, उन्हें अपने घर में देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने बाबा से बेटे को लेकर अपनी पीड़ा भी बताई.
रातभर कराहते थे बाबा नीम करोली
उस रात बाबा नीम करोली ने दंपत्ति के घर में ही भोजन कर विश्राम किया. रात में बाबा नीम करोली कराहने लगे. बाबा की तेज आवाजें सुनकर दंपत्ति घबरा गए, उन्हें लगा की शायद बाबा को यहां कोई तकलीफ हो रही है. वह रातभर बाबा की चारपाई के किनारे बैठे रहे. सुबह बाबा उठे और अपने कंबल को लपेटकर बजुर्ग दंपत्ति को दे दिया और कहा कि इसे खोले बिना गंगा में प्रवाहित कर देना.
युद्ध से लौटे बेटे ने बताई आश्चर्यजनक कहानी
बाबा नीम करोली की आज्ञा का पालन करते हुए दंपत्ति ने कंबल को गंगा में प्रवाहित कर दिया. कुछ दिन बाद दंपत्ति का इकलौता बेटा युद्ध से सकुशल वापस लौट आया. सरहद पर हुए वाक्या को बताते हुए उसने कहा कि करीब महीने भर पहले एक दिन वह दुश्मन फौजों के साथ घिर गया था. रातभर गोलीबारी हुई. उसके सारे साथी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया. वह यकीन नहीं कर पा रहा था कि इतना खतरा होने के बावजूद उसकी जान कैसे बच गई. कहते हैं कि यह वही रात थी जिस दिन बाबा नीम करोली दंपत्ति के घर आए थे.
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