Neem Karoli Baba, Miracles Story in Hindi: नीम करोली बाबा की ख्याति देश-विदेश तक फैली हुई है. बाबा अपने चमत्कारों के कारण खूब मशहूर हैं. कहा जाता है कि बाबा में चमत्कारिक और आध्यात्मिक शक्तियां थीं.


यही कारण है कि बाबा के चमत्कारों से कई भक्त प्रेरित हुए. इसमें जानी-मानी हस्तियों के नाम भी शामिल है. क्रिकेटर विराट कोहली, अभिनेत्री अनुष्का शर्मा, एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का भी नाम शामिल है.



कौन हैं रिचर्ड अल्पर्ट


बाबा के कई भक्तों में एक नाम है अमेरिका हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर रिचर्ड अल्पर्ट जिन्हें अब रामदास के नाम जाना जाता है. रिचर्ड अल्पर्ट कभी घातक नशे की लत में डूबे थे. लेकिन बाबा की शरण में आने के बाद वे समाज सेवक बन गए. नीम करोली बाबा से जुड़े कई अनुभवों का जिक्र रिचर्ड अल्पर्ट ने अपने लेखों, किताबों और साक्षात्कारों में किया है.


रिचर्ड 1967 में पहली बार जब भारत आए थे तब वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इंग्लैंड में मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर थे. वे मनुष्य को दिग्भ्रमित कर देने वाले रसायनों और घातक नशे एलएसडी और सिलोसिबिन के प्रभावों पर अध्ययन कर रहे थे. अध्ययन के लिए वे खुद भी एलएसडी का सेवन किया करते थे और उन्हें भी इसकी लत लग गई थी. लेकन आध्यात्म के प्रति भी उनका लगाव था. नशे और आध्यात्म के बीच सामंजस्य कैसे बनाया जाए, इसी कि तलाश में रिचर्ड बाबा की शरण में आए थे.  


जब बाबा ने खा ली नशे की गोलियां 


रामदास ने अपनी किताब में लिखा है कि वे जब बाबा से मिले थे तो उन्हें चाहकर भी यह बात नहीं बता पा रहे थे. इस दौरान उनकी बाबा से कई बार मुलाकात हुई. आखिरकार एक दिन खुद बाबा ने उनसे कहा कि, वह दवा कहां है? इस पर रिचर्ड चौंक गए कि कौन सी दवा. लेकिन बाबा के कहने पर वो नशे वाली एलएसडी की गोलियां लेकर आए. रिचर्ड कहते हैं कि इसकी एक गोली किसी वयस्क व्यक्ति के लिए बहुत अधिक होती थी. लेकिन बाबा ने शीशी में रखी तीन गोलियां खा ली और उनपर इसका कोई असर नहीं हुआ.


बाबा से हुई इस मुलाकात के बाद रिचर्ड अमेरिका गए और पुन: चार साल बाद बाबा के आश्रम में आए. लेकिन तब तक भी उन्हें यह संदेह था कि बाबा ने शायद वो गोलियां खाई नहीं होगी बल्कि फेंक दी होगी या थूक दी होगी. जब रिचर्ड फिर से बाबा से मिले तो बाबा ने फिर से एलएसडी की गोली मांगी और रिचर्ड ने उन्हें चार गोलियां दीं, जिसे बाबा ने उसे दिखाते हुए जीभ पर रखकर एक-एक करके खा लिया. इस बार भी इन गोलियों का बाबा पर कोई असर नहीं हुआ.


दरअसल बाबा इन गोलियों को खाकर रिचर्ड के मन में चल रहे सवालों का यह सवाब देना चाहते थे कि, नशे में कुछ नहीं रखा है. अगर नशा करना ही है तो आध्यात्म और समाज सेवा का नशा करो. क्योंकि इससे बड़ा कोई नशा नहीं है.


प्रोफेसर रिचर्ड अल्पर्ट कैसे बनें रामदास


बाबा के इस संदेश से जैसे रिचर्ड की जीवन ही गई. रिचर्ड ने बाबा से दीक्षा ली और इसके बाद बाबा ने ही खुद रिचर्ड अल्पर्ट को रामदास का नाम दिया. इसके बाद रामदास ने हनुमान फाउंडेशन और सेवा फाउंडेशन नाम की संस्थाओं के जरिए समाज सेवा का काम शुरू किया और आध्यात्मिक शिक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.


रामदास ने लिखी ‘मिरेकल ऑफ लव’


रामदास ने कई पुस्तकें लिखीं जोकि विश्वभर में चर्चित हुईं. रामदास की पुस्तकों में एलएसडी द साइकेडेलिक एक्सपीरिएन्स, डूइंग योर ओन बीइंग, जर्नी ऑफ अवेकनिंग, बी हियर नाउ, हाऊ कैन आई हेल्प समेत कई पुस्तकें शामिल हैं जोकि आध्यात्म और मानव जीवन के उद्देश्यों पर केंद्रित है. रामदास ने पुस्तक ‘मिरेकल्स ऑफ लव’ लिखी, जोकि नीम करोली बाबा के चमत्कारिक अनुभवों और शिक्षाओं पर आधारित है.


ये भी पढ़ें: Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा के चमत्कार से बच गई सैनिक की जान! गोलियों का भी नहीं हुआ असर




Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.