New Year 2023: साल 2023 के आगाज के लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. नया साल जीवन में एक नई उम्मीद और एक आशा की किरण लेकर आता है. हर साल 31 दिसंबर की रात जश्न मनाकर पुराने साल को अलविदा और 1 जनवरी को नए साल का स्वागत करते हैं लेकिन क्या कभी सोचा है कि 1 जनवरी को ही साल का पहला क्यों माना जाता है. आइए जानते हैं एक जनवरी से नए साल की शुरुआत कैसे हुई, क्या है नए साल का इतिहास.


1 जनवरी को क्यों मनाते हैं नया साल


1582 से पहले नया साल मार्च से वसंत ऋतु पर शुरू होता था, तब रोमन कैलेंडर में 10 महीने होते थे. रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव कर दिया. आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व के बाद राजा नूमा पोंपिलस ने जनवरी और फरवरी महीने को जोड़ा. 1 जनवरी को नया साल मनाने का चलन 1582 ई. के ग्रेगेरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद हुआ.


सूर्य च्रक पर बना ग्रिगोरियन कैलेंडर


रोमन शासक जूलियस सीजर ने कैलेंडर में बदलाव किया. इसके बाद सीजर ने ही 1 जनवरी से नए साल के शुरुआत की घोषणा की. धरती 365 दिन, 6  घंटे सूर्य की परिक्रमा करती है. ऐसे जब जनवरी और फरवरी माह को जोड़ गया तो सूर्य की गणना के साथ इसका तालमेल नहीं बैठा इसके बाद खगोलविदों ने इस पर गहन अध्यन किया. किसी भी कैलेंडर को सूर्य चक्र या चंद्र चक्र की गणना पर आधारित बनाया जाता है. चंद्र चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 354 दिन होते हैं. वहीं, सूर्य चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 365 दिन होते हैं. ग्रिगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित है. इस कैलेंडर को अधिकतर देशों में इस्तेमाल किया जाता है.


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