Ninda Ras: परिवार या समाज में रहते हुए हमें कई तरह की परिस्थियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें एक है ‘निंदा’. बलपूर्वक जब हम किसी का विरोध नहीं कर पाते तो ऐसी स्थिति में कई लोग निंदा का ही सहारा लेते हैं. जीवन में ऐसे लोगों से आपका सामना भी जरूर हुआ होगा.


आमतौर पर जब किसी व्यक्ति के प्रति ईष्या का स्तर बढ़ने लगता है तो वह उसे नीचा दिखाने के लिए उसकी निंदा करना शुरू कर देता है. कई बार लोग खुद की शान बढ़ाने या फिर अपने दोषों को छिपाने के लिए भी निंदा करने का सहारा लेते हैं. लेकिन निंदा और निंदा रस में अंतर होता है. निंदा रस को तो शराब से भी अधिक खतरनाक माना गया है. आइये जानते हैं कैसे?


क्या है निंदा रस (What is Condemnation)


किसी व्यक्ति की निंदा या आलोचना करने के बाद उसका स्वाद लेना ही निंदा रस कहलाता है. निंदा रस का अर्थ है आलोचना स्वाद लेना. निंदा रस अहम की भावना को दर्शाता है. क्योंकि निंदा करने वाले व्यक्ति को लगता है कि वही सर्वश्रेष्ठ है और वह सामने वाले को तुच्छ मानने लगता है. कुछ लोग किसी का उपहास बनाने के लिए निंदा करते हैं, कुछ खुद को बेहतर साबित करने के लिए निंदा करते हैं तो कुछ केवल समय काटने के लिए भी निंदा का सहारा लेते हैं. बाद में इसे आनंद आने लगता है और व्यक्ति निंदा रस में डूब जाता है. उसे दूसरों की बुराई करने की आदत लग जाती है, ऐसे व्यक्ति निगेटिव एनर्जी से भर जाते हैं. जब तक उन्हें इस गलत आदत का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. इसलिए बुराई नहीं देखनी चाहिए, दूसरों की अच्छाई से अच्छी बात ग्रहण करनी चाहिए. साथ ही नए साल पर यह संकल्प (New Year 2025 Resolution) लें आप भी निंदा करने जैसी बुरी आदत से दूर रहेंगे.


निंदा करना पाप के समान



  • ऋग्वेद के अनुसार, जो लोग दूसरों की निंदा करते हैं वह जाने-अनजाने में खुद का ही नुकसान करते हैं.

  • निंदा करने को सबसे बड़ा पापकर्म माना जाता है और इसका बुरा फल जरूर मिलता है.

  • निंदा, उद्गम हीनता और कमज़ोरी को दर्शाता है. निंदा करने वाले को ईश्वर की दरगाह में पापी माना गया है.


शराब से भी खतरनाक है निंदा रस


निंदा रस को शराब या मदिरा रस से भी अधिक खतरनाक माना जाता है. शराब का नशा तो एक दिन के बाद उतर जाता है. लेकिन कठोर, असंवेदनशील या व्यंग तरीके से की गई निंदा अवसाद का भी कारण बन सकती है. इसलिए इसका प्रयोग करना कई बार विनाशकारी भी साबित हो सकता है. निंदा अमूक व्यक्ति के लिए ईष्या या जलन भावना को दर्शाता है. इससे व्यक्ति आत्म सम्मान में कमी का अनुभव करने लगता है और अवसाद भी हो सकता है. इसलिए अपनी आचोचना में रचनात्मक बनें. दूसरों की निंदा करने या नीचा दिखना के लिए इसका प्रयोग नहीं करें.




निंदा हानिकारक लेकिन आवश्यक भी (Ninda Ras by Harishankar Parsai)


हरिशंकर परसाई निंदा रस को लेकर कहते हैं कि निंदा हानिकारक है. खासकर जब कठोर, व्यंग या अनावश्यक तरीके से इसे पेश किया जाता है तो आलोचना को स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है. लेकिन कई बार यह आवश्यक भी हो जाता है. क्योंकि आलोचना जीवन का एक हिस्सा है, जिससे आप बच नहीं सकते. भले ही अक्सर इसका प्रयोग विनाशकारी तरीके से किया जाता है. लेकिन आप आचोलनाओं को स्वीकार कर अपनी कमजोरियों को सुधारने के क्षेत्र में इसका प्रयोग कर सकते हैं और बेहतर बन सकते हैं.


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