Nirjala Ekadashi 2020: आज दोपहर 3 बजे से शुरू हो चुकी है एकादशी, जानें व्रत से जुड़ी अन्य जानकारी
Nirjala Ekadashi Vrat 2020: 2 जून 2020 को निर्जला एकादशी व्रत है. लेकिन एकादशी की तिथि 1 जून को दोपहर 3 बजे से ही आरंभ हो चुकी है. ऐसे में व्रत की तैयारियां आज से प्रारंभ होंगी.
Nirjala Ekadashi 2020 Date: सभी व्रतों में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ है और एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत सर्वोत्तम है. पुराणों और मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत की महिला अपार है. जो भी इस व्रत को रखता है उसके जीवन से कष्ट मिट जाते हैं और बाधाएं अपना रास्ता बदल लेती है. धन की कमी को दूर करने से लेकर यह व्रत मोझदायी और निरोगी बनाने में भी मददगार साबित होता है.
निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन व्रत है निर्जला एकादशी व्रत को सर्वाधिक फलदायी और सबसे कठिन व्रत भी माना गया है. इस व्रत को जो भी रखता है उसकी हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है.
ज्येष्ठ मास का प्रमुख व्रत है निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास का सबसे प्रमुख व्रत है. यह व्रत व्यक्ति को जल के महत्व को बताता है. यह व्रत बताता है कि जल ही जीवन है. इसीलिए इस व्रत को निर्जला व्रत भी कहा जाता है. इसके अतिरिक्त एकादशी को भीमसेनी, भीम एकादशी और पाण्डव एकादशी भी कहा जाता है.
ऐसे रखा जाता है ये व्रत निर्जला एकादशी का व्रत बिना जल ग्रहण किए हुए पूर्ण किया जाता है. व्रत के दौरान जल ग्रहण नहीं किया जाता है. जल के साथ साथ अन्न भी ग्रहण नहीं किया जाता है. इस व्रत में कठोर नियमों का भी पालन करना होता है.
ऐसे आरंभ करें व्रत पंचांग के अनुसार 1 जून को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से एकादशी की तिथि आरंभ हो चुकी है. ऐसे में जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखना चाहती है उसे इस तिथि के आरंभ होने के बाद से ही व्रत के नियमों का पालन शुरू कर देना चाहिए. इस व्रत में 2 जून को सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्य उदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.
पूजा की विधि 2 जून की सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थान को शुद्ध करें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करें. उनकी कथा को सुनें. इसके साथ ही पूजा के समय भगवान विष्णु की प्रिय चीजों को जरूर शामिल करें. जैसे पीले वस्त्र और पीले रंग के मिष्ठान.
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