Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी पर क्या पानी पी सकते हैं, प्यास से गला सूखने लगे तो क्या करें?
Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला व्रत का अर्थ है बिना पानी पीए व्रत रखना. इसलिए ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है. लेकिन व्रत कठिन लगे या गलती से पानी पी लिया तो ऐसे में क्या करें.
Nirjala Ekadashi 2024: शास्त्रों में सभी एकादशियों में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादशी को महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यता है कि इस एक एकादशी के व्रत से सालभर पड़ने वाली सभी 24 एकादशी व्रतों (Ekadashi Vrat 2024) का फल प्राप्त हो जाता है.
बता दें कि इस वर्ष निर्जला एकादशी का व्रत मंगलवार, 18 जून को रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा का विधान है. यह व्रत महत्वपूर्ण होने के साथ ही कठिन भी है, क्योंकि निर्जला एकादशी व्रत के दौरान अन्न-जल ग्रहण करने की मनाही होती है. यानी एकादशी तिथि से लेकर अगले दिन पारण से पहले तक पानी की एक बूंद भी व्रत के दौरान नहीं पी सकते हैं. ऐसा करने से व्रत टूट सकता है.
निर्जला एकादशी पर पानी पी सकते हैं?
साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है, जिनके अलग-अलग नाम और महत्व हैं. ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी को निर्जला एकादशी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए रखा जाता है. नियम अनुसार आप अगर निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो आपको इस दिन अन्न-जल दोनों का त्याग करना चाहिए.
लेकिन ज्येष्ठ के महीने में प्रचंड गर्मी (Heat Wave) पड़ती है और ऐसे समय में ही निर्जला एकादशी का कठोर व्रत भी रखा जाता है. कुछ लोग को भूख-प्यास बर्दाश नहीं होती तो वहीं कुछ जाने-अनजाने में गलती से व्रत के दौरान पानी पी लेते हैं. अगर व्रत के दौरान आपके साथ भी ऐसी स्थिति आन पड़े तो फिर क्या करना चाहिए, इसके लिए भी शास्त्रों में उपाय बताए गए हैं. इन उपायों को करने से एकादशी का व्रत निष्फल नहीं होता और ना ही व्रत टूटने का दोष लगता है. आइये जानते हैं इसके बारे में-
इन उपायों से व्रत नहीं होता निष्फल और नहीं लगता दोष
ऐसे पी सकते हैं पानी: व्रत के दौरान बहुत तेज प्यास लगे और गला सूखने लगे तो आप पानी पी सकते हैं. इसके लिए शास्त्रों में विधि बताई गई है. आप ऊं नमो नारायण मंत्र का 12 बार जाप करें. फिर चांदी, पीतल या फिर किसी मिट्टी के पात्र में पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर रखें. घुटने और हाथ को जमीन पर रखकर पशुवत बैठकर जल ग्रहण कर सकते हैं. ऐसा करने से व्रत निष्फल नहीं होगा. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इस विधि से जल ग्रहण करने के बाद आपको अपना व्रत जारी रखना है और अगले दिन विधि-विधान से पारण करने के बाद ही द्वादशी तिथि के बाद अन्न-जल ग्रहण करें.
इसके अलावा शास्त्रों में भी बताया गया है कि, व्रत के दौरान यदि प्यास से गला सूखने लगे तो आप आमचन कर सकते हैं. या फिर कुल्ला भी किया जा सकता है. लेकिन कुल्ला करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी गले से नीचे न जाए.
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