Karna Chhedan 2022 October Muhurat: हिंदू धर्म में 16 संस्कार में से कर्ण वेध संस्कार महत्वपूर्ण माना जाता है. कर्ण भेदन यानी कि कान छेदना. शास्त्रों के अनुसार बाल्य काल में ही बच्चे का कान छेदन कर दिया जाता है.


कान छेदन में भी शुभ मुहूर्त बहुत मायने रखता है. कई जगह तो इसे पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है. भव्य कार्यक्रम कर बच्चे के शुभ मुहूर्त में कान छेदे जाते हैं. अक्टूबर का माह चल रहा है. इस महीने में कान छेदन के लिए कई शुभ मुहूर्त है. आइए जानते हैं कर्ण छेदन संस्कार का महत्व और विधि.


कर्ण छेदन के लाभ (Ear Piercing Benefit)



  • शास्त्रों के अनुसार कर्ण छेदन से राहु-केतु संबंधी परेशानियां कई हद तक समाप्त हो जाती है. नियमों के अनुसार लड़की हो या लड़का कान हमेशा दोनों छिदवाने चाहिए, हालांकि सुविधानुसार लड़के बाद में एक कान में बाली पहन सकते हैं.

  • मान्यता है कि कान छिदवाने से संतान स्वस्थ, निरोगी रहती है. साथ ही यह शिशु के बौद्धिक और शैक्षणिक विकास में लाभकारी माना जाता है.


कर्ण छेदन कब करें ? (When to do Ear Piercing)


कर्ण छेदन संस्कार उपनयन संस्कार से पहले किया जाता है. इसे आमतौर पर बाल अवस्या में करने की परंपरा है. बच्चे के जन्म के 10वें, 12वें, 16वें दिन किया जाता है. अगर इन दिनों में न कर पाएं तो फिर छठवें, सातवें, आठवें महीने में भी कान छेदे जा सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार बालक का पहले दाहिना कान छेदा जाता है वहीं कन्या का इसके उलट.


कान छेदने की विधि (Ear Piercing Vidhi)



  • शास्त्रों के अनुसार कर्ण छेदन संस्कार मंदिर या घर में भी किया जा सकता है.

  • जिस जगह कर्ण छेदन कर रहे हैं वहां गंगाजल डालकर उस स्थान को पवित्र करें.

  • बच्चे को स्नान कराएं और नए कपड़े पहनाएं. माता-पिता बच्चे को गोद में लेकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें.

  • इसके बाद किसी पुजारी की मदद से कर्ण छेदन की परंपरा का निर्वहन करें.


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