October Month Festival 2021: व्रत और त्योहारों का मौसम चतुर्मास से शुरू हो जाता है और अश्विन मास (Ashwin Month) तक आते-आते कई व्रत और त्योहार एक साथ आ जाते हैं. अश्विन मास चतुर्मास का तीसरा महिना होता है और आखिरी माह कार्तिक (Kartik Month) का होता है. इसमें भी कई व्रत और त्योहार आते हैं. अक्टूबर का महीना (October Month Vrat) शुरू हो चुका है पितृपक्ष चल रहे हैं. अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में ही कई व्रत आने को है. नवरात्रि (Navratri), दशहरा (Dussera), करवा चौथ (Karwa Chauth) आदि सभी इस महीने में आएंगे. आइए जानते हैं इन त्योहारों की तारीखें.
अक्टूबर में पड़ने वाले व्रत-त्योहार (October Vrat Festival 2021)
4 अक्टूबर, सोमवार- 4 अक्टूबर सोमवार के दिन इस बार एक विशिष्ट संयोग बन रहा है. इस दिन मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं. बता दें कि इस बार त्रयोदशी और चतुर्दशी एक ही दिन पड़ रही है. ऐसे में भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए कल का दिन बहुत ही शुभ है. इस दिन कई उपाय करके भी भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है और उनका आशीर्वाद पाया जा सकता है.
6 अक्टूबर, बुधवार- अश्विन मास की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. कहते हैं कि जिन पितरों की तिथि ज्ञात नहीं होती, उन सभी का श्राद्ध आज ही के दिन किया जाता है. साथ ही, इस दिन दान पुण्य करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
7 अक्टूबर, गुरुवार: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं. नौ दिन तक चलने वाले इस उत्सव में मां दूर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. कहते हैं कि भक्त मां की कृपा पाने के लिए नौ दिन पूजा और उपवास करते हैं. बता दें कि इन नौ दिनों में मां दूर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है.
13 अक्टूबर, बुधवार- इस दिन नवरात्रि का आठवां दिन होता है और इसे महाअष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बड़े पैमाने पर जगह-जगह भंडारे किए जाते हैं और मां दूर्गा का पूजन होता है.
15 अक्टूबर, शुक्रवार- अश्विन मास के दशमी का दिन विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है. कहते हैं कि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी. इसी दिन दूर्गा विसर्जन भी किया जाता है.
24 अक्टूबर, रविवार- कार्तिक मास की चौथ तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इसमें सुहागिनें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और चांद को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही पति के हाथ से जल ग्रहण कर उपवास खोलती हैं.