Paris Olympics 2024: ओलंपिक दुनियाभर का सबसे लोकप्रिय खेल है, जिसकी शुरुआत 26 जुलाई से हो रही है और यह 11 अगल्त 2024 तक चलेगा. इस वर्ष ओलंपिक का आयोजन फ्रांस के पेरिस में होगा. ओलंपिक लोकप्रिय खेल होने के साथ ही बहुसांस्कृतिक उत्सव भी है.


आधुनिक और प्रचलित खेल ओलंपिक का नाम प्राचीन ग्रीक स्थल ओलंपिया (Olympia) से लिया गया था. हालांकि प्राचीन खेल 393 ई. में समाप्त हो गए थे. महिलाओं की भागीदारी ओलंपिक में सबसे पहली बार 1900 में हुई. ओलंपिक खेल का लंबा इतिहास रहा है और समय-समय पर इसमें कई परिवर्तन होते रहे हैं. मान्यता है कि ओलंपिक खेल की शुरुआत 776 ईसा पूर्व हुई थी. बात करें प्राचीन समय की तो ओलंपिक महज एक खेल नहीं बल्कि धार्मिक उत्सव हुआ करता था. आइये जानते हैं ओलंपिक खेल से जुड़ी रोचक बातें-


ओलंपिक खेल या धार्मिक उत्सव ?


लगभग सभी प्राचीन ग्रीक खेल उत्सवों के समान ही ओलंपिक भी एक धार्मिक उत्सव हुआ करता था. इस खेल का आयोजन ग्रीक के मौसम देवता जीउस (Zeus) के सम्मान में किय जाता था. खेल का आयोजन ओलंपिया की जंगली घाटी के पास होता था. यह स्थल आधात्यमिक सभा के रूप में प्रसिद्ध था. क्योंकि इस स्थान पर देवता जीउस और देवी हेरा (Greek Goddess Hera) को समर्पित मंदिर थे.


प्राचीन खेल ओलंपिक ग्रीक के देवता जीउस से जुड़ी है और इसे धार्मिक उत्सव के समान माना जाता था, इसका उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. हालांकि इस खेल की शुरुआत को लेकर कई मिथक हैं और इसकी तारीख भी विवादित है. लेकिन खेल की पारंपरिक शुरुआत 776 ईसा पूर्व मानी जाती है.


ओलंपिक से जुड़ी रोचक बातें (Interesting Facts about Olympic)



  • ओलंपिक दिवस (Olympic Day): ओलंपिक को खेलों का महाकुंभ कहा जाता है. 23 जून 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का गठन हुआ और 1984 में पहली बार 23 जून को ओलंपिक दिवस के रूप में मनाया गया.

  • जब ओलंपिक पर लगा रोक: चौथी शताब्दी में रोमन शासक सम्राट थियोडोसियस प्रथम ने ओलंपिक के धार्मिक उत्सव के कारण इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. क्योंकि उस समय ओलंपिक का आयोजन धार्मिक उत्सव की तरह ही होता था और सभी धर्मों के लोग हिस्सा लेते थे. खेल में मूर्ति पूजा का भी आयोजन होता था. सम्राट ने ओलंपिक समेत मूर्ति पूजन वाले सभी धार्मिक उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिए थे. इसके बाद लगभग 1500 सालों तक खेल का आयोजन नहीं हुआ.

  • पुनर्जीवित हुआ ओलंपिक: सम्राट थियोडोसियस प्रथम के ओलंपिक पर प्रतिबंध लगाने के बाद 19वीं शताब्दी में फांस के बैरोन पियरे डी कुवर्तेन (Baron Pierre de Coubertin) द्वारा फिर से इसकी शुरुआत की गई.

  • मशाल जलाने की धार्मिक परंपरा: ओलंपिक मशाल को आज भी ग्रीस के हेरा मंदिर में प्राचीन कालीन समारोह में पुराने तरीके से जलाया जाता है. मशाल जलाने के लिए ग्रीक पुजारियों की वेशभूषा में अभिनेत्रियां दर्पण और सूर्य (Surya) की किरणों का इस्तेमाल करती हैं. ओलंपिक मशाल को आत्मा, ज्ञान और जीवन के प्रकाश का प्रतीक माना जाता है.


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