Mansa Devi Temple in Haridwar Shakti Peeth: हिंदू धर्म में कई देवी-देवता हैं, जिनका अपना विशेष महत्व है. इन्हीं में एक है मां मनसा देवी. मां मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री और नागराज वासुकी की बहन के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि जो भी मां मनसा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ हरिद्वार में आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
हरिद्वार में है मां मनसा का शक्तिपीठ
हरिद्वार से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर शिवालिक पहाड़ियों के बिलवा पहाड़ में मां मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है. श्रद्धालु यहां अपनी मुराद लेकर आते हैं. माना जाता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मुरादें मां जरूर पूरी करती हैं. हरिद्वार स्थित मां मनसा का यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में एक है.
मंदिर तक पैदल पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. इसके अलावा केबल कार (उड़नखटोला), कार या बाइक आदि के जरिए भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. हरिद्वार के अलावा राजस्थान के अलवर, सीकर, कोलकाता, बिहार के सीतामढ़ी आदि में भी मनसा देवी के मंदिर हैं.
मां मनसा की महिमा
जो भी मां के द्वार पर पहुंचता है मां मनसा देवी उन भक्तों की सभी मन्नते पूरी करती हैं. मां के नाम का ही अर्थ इच्छा पूरी करने वाला है. मनसा का अर्थ ‘इच्छा’ है. मां मनसा के मंदिर आकर लोग अपनी मुरादें पूरी करने के लिए यहां पेड़ की शाखा में एक पवित्र धागा बांधते हैं और इच्छा पूर्ण हो जाने के बाद दोबारा आकर धागे को खोलते हैं और मां मनसा का आशीर्वाद भी लेते हैं.
शिव, कद्रू और कश्यप पुत्री हैं मनसा देवी
भगवान शिव की तीन पुत्रियों में एक का नाम मनसा भी है. इन्हें देवी पार्वती की सौतेली पुत्री माना गया है. कार्तिकेय की तरह ही देवी पार्वती ने मनसा को भी जन्म नहीं दिया. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां मनसा का जन्म तब हुआ जब भगवान शिव का वीर्य कद्रु (सर्पों की मां) की प्रतिमा को छू गया.
इसलिए मनसा को भगवान शिव की मानस पुत्री कहा जाता है. पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां मनसा का जन्म कश्यप ऋषि के मस्तक से हुआ. कश्यप ऋषि की पत्नी का नाम कद्रू है. ग्रंथों में मनसा के शिव की पुत्री होने का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन शिव से ही मनसा ने शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की.
कैसा है मनसा देवी का स्वरूप
पिता, सौतेली मां और पति द्वारा उपेक्षित होने के कारण मां मनसा का स्वभाव गुस्से वाला है. लेकिन सच्चे मन से मां की भक्ति करने वाले भक्तों से मां सदा प्रसन्न रहती हैं. मनसा देवी सर्प और कमल पर विराजमान होती हैं. हालांकि कुछ जगहों पर इन्हें हंस पर विराजमान दिखाया गया है. कहा जाता है कि 7 नाग माता की रक्षा में हमेशा ही विद्यमान होते हैं.
सर्प पर विराजित होने के कारण इन्हें सर्पों की देवी भी कहा जात है. लोक कथाओं के अनुसार सर्पदंश के इलाज के लिए भी लोग मां मनसा की उपासना करते है. माता की गोद में उनका पुत्र आस्तिक विराजमान है. बताया जाता है मनसा का एक नाम वासुकी भी है. कद्रू और कश्यप के पुत्र वासुकी की बहन होने के कारण मां मनसा का नाम वासुकी भी पड़ा. वासुकी भगवान शिव के गले के नाम हैं.
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