Shiv Ji Ki Aarti: कल मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की करें आरती, सुख-समृद्धि का होगा आगमन
Shiv Aarti: सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा की मान्यता है. लेकिन इस बार सोमवार के दिन ही भगवान के प्रिय प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन पड़ रही है.
Om Jai Shiv Omkara Shiv Aarti Lyrics: कल सोमवार का दिन कई विशिष्ट संयोग बनने के कारण बहुत ही शुभ माना जा रहा है. सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा (Bhagwan Shiv Puja) की मान्यता है. लेकिन इस बार सोमवार के दिन ही भगवान के प्रिय प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) और मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) एक ही दिन पड़ रही है. साथ ही ऊपर से भोलेशंकर का दिन, तो इस दिन की गई पूजा, व्रत और आरती (Shiv Puja, Vrat and Aarti) से भगवान जल्द प्रसन्न होंगे और उनके सभी कष्ट दूर करेंगे. मान्यता है कि देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना से भक्तों की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
कहते हैं कि शिव बहुत ही दयालु और कृपालु हैं जो अपने भक्तों के सुख-दुख का बहुत ध्यान रखते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव की आरती से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. ग्रंथों में कहा गया है कि शिव आरती से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. इसलिए कल सोमवार के दिन भगवान शिव की आरती अवश्य करें.
Om Jai Shiv Omkara Aarti Lyrics (भगवान शिव की आरती ओम जय शिव ओमकारा)
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥