(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Osho: चंद्रमोहन जैन, आचार्य रजनीश या भगवान रजनीश, ओशो को किस नाम से जानते हैं आप और क्या था उनकी मौत का सच?
Osho: आचार्य रजनीश जिसे दुनियाभर में लोग ‘ओशो’ के नाम से जानते हैं. इनका जन्म 11 दिसंबर 1931 में हुआ था. ओशो के जन्म से जहां कई रहस्यमयी बातें जुड़ी हैं, वहीं इनके मौत से भी विवादित पहलू जुड़े हैं.
Osho (Rajneesh): ‘ओशो’ से हम सभी परिचत हैं. देश से लेकर विदेश तक ओशो को खूब प्रसिद्धि और लोकप्रियता हासिल हुई. ये भारतीय विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता थे. इनके जन्म का नाम चंद्रमोहन जैन और मूल नाम रजनीश है. इसके साथ ही ओशो को भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश या रजनीश जैसे नामों से भी जाना जाता है.
ओशो का जन्मदिन (Osho Birthday)
ओशो का जन्म 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बरेली तहसील के कुंचवाडा ग्राम में हुआ. ओशो अपने माता-पिता के 11 संतानों में सबसे बड़े थे. इनकी माता का नाम सरस्वती जैन और पिता का नाम बाबूलाल जैन था. जन्म से लेकर 7 वर्ष तक इनका लालन-पालन ननिहाल में हुआ.
ओशो बचपन से ही शांत, गंभीर और सरल स्वभाव के थे. विद्यार्थी जीवन में इनकी सोच बगावती थी, किशोरावस्था तक ओशो नास्तिक बन चुके थे और इन्हें ईश्वर या ईश्वर के अस्तित्व पर भरोसा नहीं था. ओशो कुछ समय के लिए आरएसएस में भी शामिल हुए. 1957-66 तक ओशो जबलपुर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर रहे और फिर इन्होंने नौकरी छोड़ नव संन्यास आंदोलन की शुरुआत की.
ओशो ने रहस्यमय गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में विश्वभर में ख्याति प्राप्त की. साथ ही ये धार्मिक रूढ़ियों के आलोचक और मानव कामुकता के प्रति खुला रवैया रखने के कारण भारत समेत कई देशों में आलोचना के पात्र भी बने. ओशो रजनीश के जन्मदिन पर आइये जानते हैं उनके जीवन और मृत्यु के रहस्यों के बारे में.
ओशो की मौत (Osho Death)
- ओशो तर्क देने और बोलने में माहिर थे. 60 के दशक में उन्होंने जनसभा में बोलना शुरू किया. इसके बाद 1969 में ओशो को दूसरे वर्ल्ड हिंदू कॉन्फ्रेंस में बुलाया गया. इसी बीच उनकी किताब आई ‘संभोग से समाधि’. इस किताब को लेकर विवाद भी हुआ और ओशो फेमस भी हुए. इसके बाद उन्होंने ध्यान सिखाने के लिए पुणे के कोरेगांव में एक आश्रम बनवाया. लेकिन 1977 में सरकार से खिटखिप होने के बाद ओशो ने अमेरिका की ओर रुख किया.
- अमेरिका के ओरेगॉन राज्य में 64,229 एकड़ बंजर जमीन पर रजनीशपुरम नाम का कम्यून बनाया गया. अमेरिका में ओशो ने नाम के साथ खूब पैसा भी कमाया. ओशो खुद कहने लगे कि- मैं अमीरों का गुरु हूं. लेकिन धीरे-धीरे कम्यून में गड़बड़ियां होने लगी और प्रवासी अधिनियम के उल्लंघन के साथ कई अन्य मामलों में अमेरिकी सरकार ने ओशो को गिरफ्तार कर लिया. कुछ समय जेल में बिताने के बाद ओशो वापस भारत आ गए. क्योंकि अमेरिका के साथ अन्य 21 देशों में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा था.
- 1985 में ओशो भारत आए और पांच वर्ष बाद ही 19 जनवरी 1990 को उनकी मृत्यु हो गई. विवादित जीवन के साथ ही ओशो की मृत्यु भी विवाद का केंद्र बनी. ओशो की मौत को लेकर ऐसा कहा जाता है कि, अमेरिकी सरकार ने जेल में ओशो को ‘थैलियम’ नामक स्लो पॉइजन दिया था, जिससे धीरे-धीरे उनके शरीर और अंग कमजोर पड़ने लगे.
ओशो की समाधि पर लिखा है: 'न पैदा हुए न मरे. 11 दिसंबर 1931 से 19 जनवरी 1990 तक धरती पर अवतरित हुए.' ओशो की मृत्यु को तीन दशक से अधिक समय हो चुका है, लेकिन 21वीं सदी में आज भी ओशो काफी लोकप्रिय हैं. इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, आज भी ओशो की हजारों की संख्या में किताबें बिकती हैं और सोशल मीडिया पर उनके वीडियो में लाखों व्यूज होते हैं.
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